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जैन गणित और कर्मवाद]
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जैसा कि हम पाते हैं कि जैन आगमों में इस लोक में जो शाश्वत भूगोल-खगोल संबंधी विवरण है वह सब अंगुल के माप से दर्शाया गया है, जो लम्बाई (चौड़ाई या ऊँचाई) का माप है लेकिन अंगुल के पूर्व के माप में यह सम्भावना बनती है कि यह इकाईयां केवल लम्बाई की नहीं है अपितु घन (आयतन) की है क्योंकि आठ की संख्या दो के घन (23) से प्राप्त होती है। जैनों ने दो की संख्या को गणित में प्रारम्भिक संख्या माना है, इस दृष्टि से हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि व्यवहार परमाणुओं से बने सूक्ष्म पदार्थों का माप आयतन से हुआ है। यह सूक्ष्म पदार्थ गोलाकार (Spherical) है अतः इनके माप आयतन में होना उचित प्रतीत होता है।
23 = 2 x 2 x 2 =8 यह स्पष्ट रूप से त्रिआयामी माप है। इस विवेचन से यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि व्यवहार परमाणुओं से बने सूक्ष्म पदार्थों के
माप में लम्बाई का कोई महत्त्व नहीं है। उनके माप आयतन से लिये • जाते रहे हैं तथा अंगुल माप और उससे बड़े पदार्थों के माप लम्बाई, चौड़ाई
और ऊंचाई हेतु लिए जाते थे। ' वैज्ञानिक धारणा ... भौतिक शास्त्रियों ने पदार्थ के सूक्ष्मतम अंश को परमाणु कहा है लेकिन । परमाणु भी इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन आदि कणों से संयुक्त माना गया है। नई खोजो ने यह प्रमाणित कर दिया है कि क्वार्क, पदार्थ का सूक्ष्मतम अंश है लेकिन ये क्वार्क भी स्वतंत्र अवस्था में नहीं रहते। वर्तमान में एक नए पार्टिकल का पता लगा है जिसमें पांच क्वार्क मौजूद है। इनका अस्तित्व सृष्टि के आरम्भ काल (बिग-बैंग) के समय से माना जाता है।
. कहा जाता है कि इतिहास में घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है। विज्ञान द्वारा सूक्ष्मतम कण के खोज की कहानी में भी आज वही स्थिति पुनः वहीं लौट आई जो बीसवीं सदी के प्रारम्भ में थी। उस समय यह माना गया था कि इस जगत की रचना के सूक्ष्मतम कण इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन का पता लग गया है। लेकिन इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन की जानकारी के बाद अनेक सूक्ष्म कणों का पता लगा जिससे सूक्ष्मतम कण निर्णित नहीं हो सका। अब यही स्थिति क्वार्क के संबंध में हो रही है। अतः यह अभी कहना सुनिश्चित नहीं है कि पदार्थ का सूक्ष्मतम कण क्या है ?
आचार्य महाप्रज्ञ लिखते हैं कि जैन परिभाषा के अनुसार अछेद्य, अभेद्य, अग्राहय, अदाह्य और निर्विभागी पुद्गल को निश्चय परमाणु कहा जाता है।