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[ जैन विद्या और विज्ञान ,
जीवन व्यवहार में व्यवहार परमाणुओं से बने पदार्थों की उपयोगिता होने के कारण हम इनके माप के सम्बन्ध में अध्ययन करेंगे। जैन आगमों में व्यवहार परमाणु से प्रारम्भ होकर माप की एक सारिणी दी हैं उसकी हम चर्चा करेंगे। अनन्त निश्चय (सूक्ष्म) परमाणुओं का एक परमाणु (व्यवहार)
8 परमाणु का एक त्रस रेणु 82 परमाणु का एक रथ रेणु 83 परमाणुओं का एक बालाग्र 84 परमाणुओं की एक लिक्षा 85. परमाणुओं की एक यूका 86 परमाणुओं का एक यव 87 परमाणु का एक अंगुल
24 अंगुल का एक हाथ . 4 हाथों का एक धनुष्य 2000 धनुष्यों का एक गव्यूत
4 गव्यूतों का एक योजन .. स्थानांग की वृत्ति में सूक्ष्म परमाणु और व्यवहार परमाणु का विस्तार से वर्णन हुआ है। हमें यह ध्यान रखना है कि व्यवहार परमाणु भी इतना छोटा है कि वह दृष्टिगोचर नहीं होता यद्यपि वह अनन्त सूक्ष्म परमाणुओं से बना है। आठ की संख्या का महत्व
उपर्युक्त माप की सारिणी में हम पाते हैं कि सारिणी में वृद्धिगत इकाइयों में आठ संख्या का क्रमिक रूप से गुणनफल हुआ है तथा अंगुलं के बाद माप में आठ संख्या के गुणनफल का प्रयोग नहीं है। यह अंतर किसी गणितीय माप की भेद रेखा को प्रकट करता है।
यह ध्यान रहे कि हम व्यवहार परमाणु की चर्चा कर रहे हैं। इस दृष्टि से सारिणी की माप की इकाइयों को हम दो भागों में विभक्त कर अध्ययन करेंगे।
(i) अंगुल और उसके बाद के माप। (ii) अंगुल के पूर्व के माप।