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________________ जैन गणित और कर्मवाद] [199 परमाणु पुद्गल (पदार्थ) की सूक्ष्मतम इकाई को परमाणु कहा है। लोक में पुद्गल दो प्रकार का है - __ 1. सूक्ष्म 2. स्थूल इनके परस्पर गुणों और व्यवहार में स्पष्ट अन्तर है। सूक्ष्म पुद्गल भाररहित होता है तथा स्थूल भार-सहित होता है। सूक्ष्म पुद्गल गति के समय अन्य पुद्गलों से बाधित नहीं होता जबकि स्थूल पुद्गल, अन्य स्थूल पुद्गल से बाधित होता है। वैज्ञानिक हाईजनबर्ग ने स्थूल और सूक्ष्म पदार्थ को भिन्न मानते हुए कहा है कि स्थूल पदार्थ के नियम सूक्ष्म पदार्थ पर लागू नहीं होते। यह आश्चर्य की बात है कि आगम रचना काल में भी स्थूल पदार्थ के नियम सूक्ष्म पदार्थ पर लागू नहीं किये जाते थे। इसी दृष्टि से स्थूल पदार्थ के सूक्ष्मतम कण को स्थूल परमाणु कहा है तथा सूक्ष्म पदार्थ के सूक्ष्मतम कण को सूक्ष्म (निश्चय) परमाणु कहा है। इस विभेद को सदैव ध्यान में रखना आवश्यक है क्योंकि दोनों में वास्तविक अन्तर है। . अनन्त सूक्ष्म परमाणुओं के समुदय से एक स्थूल परमाणु बनता है और अनन्त स्थूल परमाणु के समुदय से स्थूल पदार्थ की रचना होती है। इस दृष्टि से सूक्ष्म परमाणु सूक्ष्म जगत की रचना का कारण है और स्थूल परमाणु स्थूल जगत की रचना का कारण है। इसकी पुष्टि अनुयोग द्वार . में वर्णित दो प्रकार के परमाणुओं से होती है - 1. सूक्ष्म परमाणु 2. व्यवहार परमाणु हमारा इन्द्रिय गत अनुभव स्थूल जगत की देन हैं उसी पर हमारा समस्त व्यवहार आश्रित है। इसी कारण अनुयोग द्वार सूत्र में स्थूल परमाणु की जगह व्यवहार परमाणु को निर्दिष्ट किया है। व्यवहार परमाणु से जिन पदार्थों की रचना होती है वह भी दो प्रकार के हैं - 1. वह पदार्थ जो स्थूल होते हुए भी दृष्टिगम्य नहीं है और न किसी इन्द्रिय से अनुभूत होते है। 2. वह पदार्थ जो स्थूल होते हुए दृष्टिगम्य होते है और इन्द्रिय गम्य भी होते हैं।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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