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[ जैन विद्या और विज्ञान
(1) झपकी आने वाली अवस्था (2) असंदिग्ध स्पष्ट नींद (3) व (4) गहरी नींद की अवस्था होती है।
'रैपिड आई मूवमेंट' (आरईएम) नींद को असत्यभासी या विरोधाभासी नींद भी कहते हैं क्योंकि इसमें मस्तिष्क की अति सक्रियता व अति चपलता के बावजूद भी व्यक्ति नींद की अवस्था में रहता है। इसमें आंखें तेजी से गति करती हैं। सामान्यतः इसी अवस्था में सपने देखे जाते हैं। आंखों की गति का कारण भी व्यक्ति द्वारा सपने में देखी चीज का अनुसरण करना होता है लेकिन मांसपेशियों की अति शिथिलता के कारण व्यक्ति स्वयं गति नहीं कर पाता है। यह गहरी नींद वाली अवस्था है। इस नींद का स्मरण शक्ति की चकबंदी (कोन्सोलिडेशन) करने में महत्त्व माना जाता है। एनआरईएम अवस्था में देखे गए सपने सामान्यतः याद नहीं रहते हैं, बल्कि आरईएम नींद में देखे गए सपने सामान्यतः याद रहते हैं।
निद्रा उत्पत्ति की क्रियाविधि के बारे में कई मान्यताएं हैं। मस्तिष्क के जालीनुमा उन्नति तंत्र (रेटिकुलर एक्टीविटी सिस्टम) की चपलता की कार्यक्रिया के कारण व्यक्ति जागरण अवस्था में रहता है। जब इस तंत्र की चपलता में कोई बाधा होती है तो नींद की अवस्था आ जाती है। साथ ही मस्तिष्क के कुछ हिस्सों के तंत्रिकातंतु जो कि 'सिरोटोनीन' नामक पदार्थ बनाते हैं, उनके उत्तेजित होने पर नींद आती है। आरईएम नींद का कारण मस्तिष्क के पोंस भाग में स्थित 'लोकस सेरूलियस' तथा इनके 'नारएड्रिनर्जिक' तंत्रिकातंतुओं के उत्तेजित होने को माना जाता है। ___मस्तिष्क की किया-विधि के बारे में विज्ञान जगत में निरन्तर शोध हो रही है अतः 'नींद के प्रकरण' के सम्बन्ध में वैज्ञानिक दृष्टि से अन्तिम निर्णय पर पहुंचना संभव नहीं है।
लेखक का यह मत है कि केवली के वीर्य योग (कायिक प्रवृत्ति) तथा द्रव्य काय वर्गणा-प्रयोग सहित होता है। इसलिए योग-चंचलता रहती है। इसी प्रकार केवली के यद्यपि ज्ञानेन्द्रियों की प्रवृत्ति नहीं है लेकिन द्रव्येन्द्रिए होती है जिस अपेक्षा से केवली को पंचेन्द्रिय कहा जाता है। अतः केवली के जब द्रव्येन्दिए है तथा योग-चंचलता है तो फिर द्रव्य नींद के आने में कहीं कठिनाई नहीं है क्योंकि नींद काय-योग की न्यूनतम प्रवृत्ति है। यह सही है कि भाव निन्द्रा का अभाव रहेगा क्योंकि ज्ञानेन्द्रियों का अभाव है।