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________________ आगम और विज्ञान ] [173 कृष्ण विवर की उत्पत्ति वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार जब किसी भी तारे के भीतर ईधन समाप्त हो जाता है, तब उस तारे का तापमान क्रमशः घटता जाता है और उसके परिमाण का संकुचन के साथ-साथ तारे का घनत्व बढ़ता जाता है। बढ़ते-बढ़ते वह इतना अधिक हो जाता है कि उसकी सतह से किसी भी पदार्थ का मुक्त होना कठिन हो जाता है। अन्ततोगत्वा उसका घनत्व इतना अधिक हो जाता है कि प्रकाश के अणु जैसा सूक्ष्म पदार्थ भी फिर उससे बाहर भाग नहीं सकता जो भी पदार्थ उसके गुरुत्व-क्षेत्र की सीमा में आ जाता है, उसे भी वह अपनी ओर लेता है। कृष्ण विवर सही अर्थ में पूर्णरूपेण कृष्ण होने से किसी भी साधन के द्वारा दिखाई नहीं दे सकता। फिर भी उसके गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव किया जा सकता है। आकाश में विद्यमान तारे आदि प्रकाशित पिण्डों से घिरा हुआ यह पिण्ड एक प्रकार का गड्डा (विवर) है, जिसमें गिरने वाला पदार्थ वापिस बाहर नहीं निकल सकता। इस रूप में कृष्ण विवर' की संज्ञा बिल्कुल सार्थक है। वैज्ञानिक धारणा के अनुसार ऐसे कृष्ण विवरों की संख्या अनेक हैं। संभवतः इनमें से एकं कृष्ण विवर का अस्तित्व हमारी आकाश-गंगा (गेलेक्सी) के भीतर है, जिसे 'सिग्नसएक्स-1' की संज्ञा दी गई है। जैन आगमों में तमस्काय के सम्बन्ध में एक से अधिक होने का विवरण नहीं है। यद्यपि यह स्वयं विस्तार लिए हुए है। • कृष्ण विवर के साथ तुलना उपर्युक्त वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि लोक में नए कृष्ण विवर की उत्पत्ति होती रहती हैं, पर तमस्काय, कृष्णराजि के वर्णन से लगता है कि ये एक रूप में शाश्वत पदार्थ हैं; इनकी नई उत्पत्ति नहीं होती। तात्पर्य यह हुआ कि यद्यपि कृष्णराजि और कृष्ण विवर में समानताएं हैं, फिर भी दोनों एक नहीं है। . उपर्युक्त वर्णन ये यह भी स्पष्ट होता है कि जहां तमस्काय और कृष्णराजि - ये दोनों ही रोमांच उत्पन्न करने वाली, भयंकर, उत्त्रासक और क्षुब्ध करने वाली हैं जिससे कि देव आदि आकाशगामी जीव उनसे दूर रहने की कोशिश करते हैं, वहां कृष्ण विवर के विषय में वैज्ञानिकों की भी यही धारणा है कि कोई भी आकाशीय पिण्ड या प्रकाश-पिण्ड उसके पास से गुजर
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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