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________________ आगम और विज्ञान] [ 171 . आचार्य महाप्रज्ञ ने तमस्काय और ब्लैक होल (कृष्ण-विवर) पर भगवती भाष्य में विस्तृत टिप्पणी दी है। विज्ञान के नवीनतम अनुसंधानों को भी अपने अध्ययन का विषय बना कर, तथा जैन दर्शन से तुलना कर उन्होंने विज्ञान और दर्शन दोनों को निकट लाने का स्तुत्य प्रयत्न किया है। तमस्काय और कृष्ण-राजि की समानताएं और विषमताएं बताते हुए, इनकी ब्लैक होल (कृष्णविवर) से तुलना की है। यह पाठकों के लिए प्रेषित है। तमस्काय और कृष्णराजि की तुलना तमस्काय और कृष्णराजि में कुछ समानता भी है और कुछ विषमता भी है। समानताएं 1. दोनों में वर्ण काला, कृष्ण अवभास वाला, गम्भीर, रोमांच उत्पन्न 'करने वाला, भयंकर, उत्त्रासक और परम कृष्ण है। इसका तात्पर्य हुआ कि ये दोनों ऐसे पुद्गल-स्कन्धों से निर्मित हैं, जिसमें से प्रकाश की एक भी किरण बाहर नहीं जा सकती। इस तथ्य की वैज्ञानिक व्याख्या यह है कि उन पुद्गलों का घनत्व इतना अधिक है कि उसमें से प्रकाश-अणु जैसे सूक्ष्म पुद्गल भी बाहर नहीं आ सकते। इस माने में विज्ञान के 'कृष्ण विवर' के साथ इनकी समानता है। 2. परिमाण की समानता - विष्कम्भ की अपेक्षा से - तमस्काय दो प्रकार का होता है - संख्यात हजार योजन वाला तथा अंसख्यात हजार योजन वाला। कृष्णराजि केवल संख्यात हजार योजन वाली होती है। 3. परिधि की अपेक्षा से - दोनों असंख्यात हजार योजन वाले . होते हैं। 4. आयाम की अपेक्षा से – कृष्णराजि असंख्य हजार योजन वाली होती है। तमस्काय का आयाम निर्दिष्ट नहीं है। 5. वहाँ गृह आदि का अभाव – तमस्काय और कृष्णराजि दोनों रिक्त स्थान हैं - वहां न घर हैं, न दुकानें, न सन्निवेश।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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