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आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य पर कलम उठाना, काम करना गुरु के विशेष आशीर्वाद का ही प्रतिफलन है। धर्म और विज्ञान पर अनेक शोधपत्रों का प्रकाशन भी हुआ है। पूरे जैन समाज में प्रख्यात होने के कारण समयसमय पर अनेक जैनाचार्यों के द्वारा विशेष कार्यक्रमों में प्रवक्ता के रूप में भी आमंत्रित किए गए हैं।
__ डॉ. गेलड़ा ने रसायन शास्त्र में एम.एस.सी. किया, फिर जोधपुर विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की। निदेशक, महाविद्यालय शिक्षा, राजस्थान के पद से सेवानिवृत होकर जैन विश्व भारती, मान्य विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के पद पर नियुक्त हुए। इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में निरन्तर विकास के शिखर को छूते हुए अब वे महाप्रज्ञ साहित्य की सेवा में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।
- साध्वी राजीमती