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बाहरी विज्ञान एवं भीतरी विज्ञान अर्थात् भौतिक एवं अभौतिक विज्ञान दोनों का जब योग होता है तब एक नये व्यक्तित्व का निर्माण होता है। परंतु आज का भारत विदेशों से अर्थ का ही ऋण नहीं ले रहा है बल्कि वह चिन्तनदर्शन का भी ऋण ले रहा है। मैं चाहता हूं कि भारत को इस परोक्षानुभूति की प्रताड़ना से बचाया जाये। मैं शास्त्रों, आगमों से लाभान्वित हूं परंतु उनका भार ढोने में मेरी निष्ठा नहीं है। ___भारत के राष्ट्रपति डॉ. श्री अब्दुल कलाम ने कहा है - आचार्य महाप्रज्ञ वैज्ञानिक दृष्टि से आग्रह-मुक्त हैं। स्वामी विवेकानंद ने अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की अपेक्षा अनुभव की। वही बात विनोबाभावे ने कही कि विज्ञान की रेलगाड़ी में अध्यात्म का इंजन चाहिए। आचार्य महाप्रज्ञ ने इससे दो कदम आगे की यात्रा की है। उन्होंने अध्यात्म, शिक्षा एवं साधना, इन सबकी वैज्ञानिक उपयोगिताएं प्रमाणित की है। प्रेक्षा ध्यान जिसकी व्याख्या में आपने विज्ञान का अधिकाधिक प्रयोग कर ध्यान और बीमारियां, ध्यान और आदत परिष्कार, ध्यान और मन के रहस्यों का उद्घाटन आदि के संदर्भ में अनेक जानकारियां प्रस्तुत कर अपने साहित्य एवं प्रवचनों के द्वारा जनमानस को प्रभावित किया है। उनका कहना है सूक्ष्म में प्रवेश करने पर ही बहुमूल्य सम्पदाएं उपलब्ध होती हैं। अणु (एटम) के चमत्कारों से पूरा विश्व परिचित है परंतु अचेतन की तुलना में चेतन अनन्तगुणा शक्ति सम्पन्न है, यह सच्चाई है, क्योंकि 'मैं' को जानकार ही सबको जाना जा सकता है। इसलिए प्रज्ञा शब्द आचार्य महाप्रज्ञ के साथ जुड़कर अपनी सार्थकता प्रकट कर रहा है।
। प्रस्तुत पुस्तक 'जैन विद्या और विज्ञान ; संदर्भः आचार्य महाप्रज्ञ का साहित्य' जिसमें डॉ. महावीर राज गेलड़ा ने जैन दर्शन के कुछ विषयों का वैज्ञानिक दृष्टि से सांगोपांग विवेचन किया है जिनका महाप्रज्ञ साहित्य में उल्लेख है। यद्यपि दर्शन और विज्ञान दोनों ही गहनतम विषय हैं, उन्हें सहज, सरल वैज्ञानिक भाषा में विवेचित करना लेखक की विशेषता ही कही जा सकती है। पुस्तक के सभी खण्डों में इस प्रतिज्ञा का निर्वाह किया गया है कि जो विषय विज्ञान के सिद्धान्तों, उपकरणों और प्रयोगों से अस्पृष्ट हैं, उन्हें इसमें वर्णित नहीं किया जाये। यह इसलिए संभव हो सका है कि डॉ. गेलड़ा को जैन दर्शन और विज्ञान दोनों की गहरी और सूक्ष्म गणितीय जानकारियां
हैं और इसके साथ-साथ उनमें विद्वता और विनम्रता का शुभ संयोग भी है। ' वे धर्म, दर्शन और विज्ञान के प्रवक्ता, लेखक, चिन्तक और विचारक भी हैं।