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________________ आगम और विज्ञान] [ 159 चाहिए जहां आकाश काल के भौतिक नियम लागू नहीं होते क्योंकि यहां 'समय' शून्य हो जाता है। सूक्ष्म जगत में काल के एक 'समय' का अभिप्राय, शून्य समय से है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण . भौतिक विज्ञान में आकाश-काल की निरपेक्ष गति केवल प्रकाश के कणों में मानी गई है। गति विज्ञान के अध्याय में हमने यह वर्णन किया है कि वे ही कण प्रकाश-गति प्राप्त कर सकते हैं जिनका नैसर्गिक द्रव्यमान न हो अर्थात् वे द्रव्यमान रहित (Massless Particles) हो। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अभी द्रव्यमान रहित कणों के व्यवहार की मान्यता नहीं हुई है। यद्यपि ग्लूऑन, ग्रेविटॉन, फोटॉन द्रव्यमान रहित कण कहे गए हैं लेकिन विस्तारपूर्वक चर्चा अभी शेष है। अभी तक प्रकाश-गति से अधिक किसी की भी गति स्वीकार नहीं की गई है। यद्यपि कुछ वैज्ञानिक प्रयोगों ने प्रकाश की गति से अधिक गति होना प्रमाणित किया है। प्रयोग . कुछ वर्षों पूर्व न्यूजर्सी, प्रिंसटन में एक प्रयोग किया गया। लेसर किरणों को सीजियम (Ceasium) की भाप में से गुजारा गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि किरणें चेम्बर में प्रवेश होने से पहले ही बाहर निकल रही हैं। यह विज्ञान की भाषा है। इसका अभिप्राय है कि लेसर की किरणें प्रकाश की गति से तेज गति से निकल रही हैं। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रकाश की गति से अधिक गति विद्यमान है। यह कहा जा सकता है कि विज्ञान जगत में गति के क्षेत्र में विकास की अभी संभावनाएं हैं। उनके निष्कर्षों से ही परमाणु की तीव्रतम गति के संबंध में निश्चित रूप से कहा जा सकेगा। ___जैन आगम साहित्य में भौतिक विज्ञान के अनेक विषयों में अस्पृशद् गति का वर्णन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सूक्ष्म जगत में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी देती है। वर्तमान में भौतिक वैज्ञानिक भी क्वार्क की खोज के बाद सूक्ष्म जगत के व्यवहार की विशेषताओं को जानने में प्रयत्नशील हैं। इससे आशा की जा सकती है कि सूक्ष्म जगत के आवरणों, को प्रत्यक्ष रूप जाना जा सकेगा।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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