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द्रव्य मीमांसा और दर्शन ]
4. आइंस्टीन का निम्नलिखित समीकरण उपर दिये गये सिद्वान्तों
को स्पष्ट करता है ।
m
[] -(:)]
|mj =
where m is mass in rest
u is velocity and
c is velocity of light
if u = c
[141
m] = ∞
इस समीकरण के संबंध में निम्न तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए
फोटोन का द्रव्यमान शून्य (Massless) कहा जाता है। इसका अभिप्राय कि फोटोन गतिहीन है क्योंकि जब वह गति में होता है तो उसकी गति • प्रकाश की गति के समान होती है, ऐसे में उसका द्रव्यमान ज्ञात नहीं किया जा सकता।
0
इस समीकरण में जब m =
-
होता है तो यह किसी भी गणितीय विधा
0
से समझाया नहीं जा सकता । अतः यह माना जाता है कि शून्य द्रव्यमान (Massless) सदैव नया द्रव्यमान ग्रहण करने की स्थिति में रहता है (tends to) | फोटोन कण का द्रव्यमान जब शून्य कहा जाता है तो वह केवल काल्पनिक होता है। इस मान्यता से यह निष्कर्ष निकलता है कि किसी भी कण का द्रव्यमान अगर शून्य से किंचित भी ज्यादा है तो वह प्रकाश के वेग से गति नहीं कर सकता। ऐसे कण की गति बढ़ती जाती है तो द्रव्यमान भी बढ़ता जाता है लेकिन उसकी लम्बाई घटती जाती है। आइंस्टीन के सापेक्षवाद का सार यही है कि 'समय' सापेक्ष है न कि लम्बाई में दिखाई देने वाला परिवर्तन |
अनिश्चितता का सिद्धान्त
अनेकान्त तथा स्यादवाद के विकास के लिए विज्ञान क्षेत्र के दो सिद्धान्त अत्यन्त उपयोगी है
> सापेक्षता का सिद्धान्त