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________________ द्रव्य मीमांसा और दर्शन ] [137 अनन्त प्रतिपादित किया है। इन सैद्धांतिक उदाहरणों के साथ पाठकों के लिए अनेकान्त के सरल उदाहरण भी निम्न प्रकार से प्रेषित हैं । 1- सोना ( Gold ) एक धातु है। इसके विविध प्रकार के आभूषण बनाए जाते है, एक आभूषण को नष्ट कर, नया आभूषण बनाया जाता है, नए के उत्पन्न और पूर्व आभूषण के नष्ट होने में, सोने का अस्तित्व ध्रुव रहता है। 2. गीली मिट्टी से घड़े का निर्माण किया जा सकता है तथा उस गीले घड़े को नष्ट कर, नया अन्य आकार का दूसरा घड़ा बनाया जा सकता है लेकिन इस पर्याय परिवर्तन में मिट्टी का अस्तित्व ध्रुव रहता है । विज्ञान का संरक्षण का सिद्धान्त आचार्य महाप्रज्ञ ने उपर्युक्त उदाहरणों की तुलना विज्ञान के सर्वमान्य सिद्धान्त 'द्रव्यमान संरक्षण सिद्धान्त' और 'ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त' से की है। इसके अनुसार द्रव्यमान (Mass) को ऊर्जा (Energy) में और ऊर्जा को द्रव्य में बदला जा सकता है लेकिन कुल द्रव्यमान, द्रव्य-संहति और ऊर्जा निश्चित रहती है, जो न तो पैदा की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है। अनेकान्त में भी दो शब्द महत्त्वपूर्ण है - ध्रुव और परिवर्तन । केवल अस्तित्व है वह ध्रुव है, किन्तु पर्याय पैदा होते हैं वे नष्ट भी होते हैं । सापेक्षता तथा अनेकान्त के उपर्युक्त विवरण से प्रतिभासित होता है कि दोनों में समानता है । स्यादवाद स्याद्वाद का अभिप्राय है कि हम द्रव्य के एक धर्म का प्रतिपादन करते हैं या कर सकते हैं। पदार्थ में अनन्त धर्म रहते हैं जिसमें जब हम किसी एक धर्म को बताते हैं तो शेष धर्मों को गौण कर देते हैं जिसका यह अर्थ नहीं कि शेष धर्म है ही नहीं, यह केवल हमारी भाषा की सीमा है कि हम युगपद सभी धर्मों को नहीं कह सकते। आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं कि जब हम एक धर्म का कथन करते हैं तब उस समय एक समस्या में उलझे होते हैं। हमारा बुद्धि विकल्प और वचन विकल्प द्रव्य के जिस स्वरूप का ग्रहण और प्रतिपादन कर रहा है, वह यदि वही हो तो वह एक धर्मवाला बन जाए और वह उसके अतिरिक्त हो तो हमारा ग्रहण और प्रतिपादन पूर्ण सत्य का ग्रहण और प्रतिपादन नहीं होता। इस समस्या को सुलझाने के लिए अनेकान्त
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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