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द्रव्य मीमांसा और दर्शन]
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इसी प्रकार वैज्ञानिक दृष्टि से यह कहा जाता है कि जब कभी वस्तु का • कोई एक गुण-धर्म अनन्त होने लगता है तो उसका कोई दूसरा गुण-धर्म शून्य होने लगता है।
उपर्युक्त कथन को हमें ध्यानपूर्वक समझना चाहिए। इसका अभिप्राय यह है कि पुद्गल-स्कन्ध के पांच वर्षों में अगर काले रंग का गुणांश बढ़ता है. तो अन्य किसी वर्ण का गुणांश स्वतः ही घट जाता है। इसको हम गणित के निम्न समीकरण से भी समझ सकते हैं। किसी संख्या को जब शून्य से भाग (Divide) किया जाता है तो उसका फल अनन्त (Infinity) होता है।
संख्या / शून्य = अनन्त उदाहरणत : 1/0 = ०
उपर्युक्त नियम के आधार से पुद्गल के गुणों में होने वाले परिवर्तन की व्याख्या हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं - ___(1) व्यावहारिक परमाणु अनन्त सूक्ष्म परमाणुओं का समुदाय है। अतः इसमें पाँचों वर्ण, दो गंध, पाँच रस और आठ स्पर्श होते हैं। इन गुणों में जो प्रमुख होते हैं वे प्रत्यक्ष हो जाते हैं, शेष गौण रूप में उपस्थित रहते हैं। अतः जब कोई एक वर्ण के गुण में वृद्धि होती है तो दूसरे वर्ण के गुणों की हानि हो जाती है। इसे ही वर्ण से वर्णान्तर कहना चाहिए। इसी प्रकार गंध, रस और स्पर्श में जब कोई एक गुण अनन्त की ओर जाता है तो उसका दूसरा गुण-धर्म शून्य होने लगता है। यह हमें सदैव ध्यान में रखना है कि कभी कोई गुण शून्य बनकर रहता नहीं अतः उसे शून्य समान कहना चाहिए। इसी प्रकार कोई भी गुण अन्तिम अनन्त बनता नहीं। आगमों में अनन्त के नौ भेदों में अन्तिम का अस्तित्व स्वीकार नहीं किया
(2) लेकिन सूक्ष्म परमाणु की स्थिति, व्यावहारिक परमाणु से भिन्न है। सूक्ष्म परमाणु में केवल एक गन्ध, एक वर्ण, एक रस और दो स्पर्श ही होते हैं। स्पर्श के संबंध में कठिनाई नहीं है क्योंकि इसमें जघन्यतः दो स्पर्श होते ही हैं अतः यह संभव है कि एक स्पर्श जब बढ़ता है तो दूसरे स्पर्श का गुणधर्म कम होने लगता है। जैसे कोई परमाणु अगर शीत-स्निग्ध स्पर्श वाला है या उष्ण-स्निग्ध स्पर्श वाला है तो इनमें कोई एक गुण बढ़ेगा तो दूसरे गुण-धर्म के अंश कम हो जाएंगे। परम सूक्ष्म परमाणु में जहां एक वर्ण, एक गंध और एक रस ही होता है ऐसी स्थिति में यह मानना न्याय संगत है कि