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[जैन विद्या और विज्ञान
से ग्राह्य नहीं होता और साधारण अस्त्र-शस्त्र से तोड़ा नहीं जा सकता इसलिए उसकी परिणति सूक्ष्म ही मानी गई है। अतः विज्ञान सम्मत परमाणु की तुलना व्यावहारिक परमाणु से करने का औचित्य है क्योंकि व्यावहारिक परमाणु टूटने की बात एक सीमा तक जैन दृष्टि को स्वीकार्य है। ___ भौतिक शास्त्रियों ने पदार्थ के सूक्ष्मतम अंश को परमाणु कहा है। लेकिन यह परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन कणों से संयुक्त माना गया है। नई खोजों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि क्वार्क, पदार्थ का सूक्ष्मतम अंश है। अब तक ज्ञात विश्व के सभी पदार्थों के परमाणुओं में दो या तीन क्वार्क कण (Particle) ही पाए जाते है। इन पार्टिकल्सों में ज्यादातर या तो एक क्वार्क और एक एंटीक्वार्क वाले मेसॉन होते हैं या फिर तीन एंटीक्वार्क वाले बेरियान्स । वर्तमान में एक नए कण (Particle) की खोज हुई है जिसमें पांच क्वार्क मौजूद हैं। वर्तमान में यह कहा जा सकता है कि भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में पदार्थ के सूक्ष्मतम कण संबंधी खोज अभी अन्तिम स्थिति में नहीं है। अतः यह मानना उचित है कि विज्ञान सम्मत परमाणु की जैनों के व्यावहारिक परमाणु से ही तुलना की जा सकती है। (v) परमाणु के गुण
सूक्ष्म परमाणु और व्यावहारिक परमाणु दोनों में वर्ण, मंध, रस और स्पर्श ये चार गुण और अनन्त पर्याय होते हैं। एक परमाणु में एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श (शीत-उष्ण, स्निग्ध-रुक्ष, इन युगलों में से एक-एक) होते हैं।
आचार्य महाप्रज्ञ ने पुद्गल में होने वाले परिवर्तनों की विशेषता बताते हुए लिखा है कि पर्याय की दृष्टि से एक गुण वाला परमाणु अनन्त गुण वाला हो जाता है और अनन्त गुणवाला परमाणु एक गुण वाला हो जाता है। एक परमाणु में वर्ण से वर्णान्तर, गन्ध से गन्धान्तर, रस से रसान्तर और स्पर्श से स्पर्शान्तर होना जैन-दृष्टि सम्मत है।
यहां यह जिज्ञासा होनी स्वाभाविक है कि जब यह कहा जाता है कि परमाणु जो एक गुण काला है, वह स्वतः अनन्त गुण काला हो सकता है, तो इसका क्या मतलब है? स्वतः ही परिवर्तन होने का क्या अर्थ है, क्योंकि पदार्थ जगत में सभी परिवर्तन ऊर्जा के आदान-प्रदान से ही संभव है। अतः यह मानना उचित लगता है कि जब कभी वस्तु का एक गुणधर्म का गुणांश बढ़ता है तो उसके दूसरे गुण के गुणांश कम हो जाते हैं।