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________________ द्रव्य मीमांसा और दर्शन ] [97 अनन्त द्रव्यमान का समावेश हो जाता है। जैन दर्शन के पाठकों के लिए आकाश का वक्र होना और उसमें अनन्त द्रव्यमान (पुद्गल) का समावेश होना, जिज्ञासा का विषय है अतः वक्राकार के सम्बन्ध में विज्ञान सम्मत संदर्भ प्रस्तुत करेंगे। विज्ञान के अनुसार आकाश और काल की संयुक्त युति वक्र होती है जब थोड़े आयतन में अधिक द्रव्यमान (mass) भरता है। जैसे - (i) ब्लैक होल में द्रव्य का घनत्व बहुत अधिक होता है इसलिए वहां . आकाश-काल वक्र हो जाता है। (ii) सूर्य के चारों ओर का आकाश-काल भी वक्र होता है क्योंकि वहां भी अधिक द्रव्यमान होता है। (iii) यह माना जाता है कि बिग-बैंग के समय आकाश काल की वक्रता अनन्त थी क्योंकि अनन्त द्रव्यमान, सूक्ष्मतम आयतन में था। भौतिक शास्त्री हाकिंग के अनुसार जब हम चतुष्आयामी को तीन आयाम में, त्रिआयामी वस्तु को दो आयामों में देखने का प्रयास करते हैं, या द्विआयामी वस्तु को एक आयाम में देखते हैं तो वह वक्रीय प्रतीत होती है। ... वर्तमान में वैज्ञानिक, तारों तक पहुंचने के लिए, इसी प्रयत्न में है कि अगर आकाश-काल को किसी प्रयोग से वक्र बना लिया जाए तो उस क्षेत्र से तारों तक की यात्रा बहुत आसान हो जाएगी क्योंकि वक्रता के कारण दूरी कम हो जाएगी। पृथ्वी से निकटतम तारा भी 4.2 प्रकाश वर्ष दूर है। तारों की दूरी अत्यधिक होने के कारण, वैज्ञानिक आकाश-काल को वक्र बनाकर, दूरी को सिमेटना चाहते हैं अन्यथा तारों तक जाने की यात्रा सम्भव नहीं हो सकेगी। इस सिमटी हुई दूरी को, ‘वार्म होल' का नाम दिया गया है। अगर वैज्ञानिक इसमें सफल हो जाते हैं तो इससे महाद्वीपों के बीच की दूरियां भी 'वार्म-होल' से तय की जा सकेगी जिससे यात्रा शीघ्र हो सकेगी। इस संबंध में जैन दर्शन में वर्णित दिशाओं की वक्रता का अध्ययन, शोध दृष्टि से करने की आवश्यकता है। आकाश काल की वक्रता की तुलना दिशाओं से की जा सकती है। जैन धारणा के अनुसार आकाश के सूक्ष्मतम प्रदेश में अनन्त अनन्त प्रदेशी पुदगल ठहर सकता है। इसे समझने के लिए हम दिशाओं की वक्रता का आधार लेंगे क्योंकि दिशाएं वक्र हैं और वक्रता अनन्त द्रव्यमान को समेट लेती हैं।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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