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नया चिम्तन]
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इंगलैण्ड के देहातों में कड़क के साथ बिजली का चमकना ग्राम के प्रमुख व्यक्ति की मृत्यु का सूचक माना जाता है। अफ्रीका और पोलैण्ड तथा रोम एवं चीन में उल्कादर्शन को अशुभ माना जाता है। ____ इस्लाम धर्म में उल्का को भूत-पिशाच तथा दैत्य के रूप में माना गया
है।
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अर्थवेदसंहिता में भूकम्प, भूमि का फटना, उल्का, धूमकेतू, सूर्यग्रहण आदि को अशुभ माना है।
ब्राह्मण ग्रन्थों में धूलि, मांस, अस्थि एवं रूधिर की वर्षा, आकाश में गन्धर्व-नगरों का दर्शन अशुभ के द्योतक माने गए हैं।
वाल्मिकी रामायण में रुधिरवृष्टि को अत्यन्त अशुभ माना गया है।
इसी प्रकार उत्तरवर्ती संस्कृत काव्यों में भूप्रकम्पन, उल्कापात, रुधिरवृष्टि, करकवृष्टि, दिग्दाह, महावात, वजपात, धूलिवर्षा आदि-आदि को अशुभ माना गया है।
। लगता है, इन लौकिक मान्यताओं के आधार पर जैन आगम साहित्य . में अस्वाध्यायिक की मान्यता का प्रचलन हुआ है।
- जैन परम्परा में अस्वाध्यायिक वातावरण में स्वाध्याय न करने के कारण दिए गए हैं। वे कारण निम्न हैं (1) श्रुत ज्ञान की अभक्ति (2) लोक विरुद्ध व्यवहार (3) प्रमत्त छलना (4) विद्या साधन का वैगुण्य (5) श्रुतज्ञान के आचार की विराधना (6) अहिंसा (7) उद्दार (8) अप्राति।
उपर्यत कारणों से निम्न अवस्था में स्वाध्याय नहीं करनी चाहिए। (1) उल्कापात (2) दिग्दाह (3) गर्जन (4) विद्युत (5) निर्धात (6) यूपक (7) यक्षदिप्त (8) धूमिका (9) ओस (10) रजोघात। इसके अतिरिक्त भी चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण अथवा शरीर के रक्त, मल-मूत्र संग्रह के स्थान, श्मशान, राज-विग्रह, राज्य पतन आदि अनेक अस्वाध्याय के कारण दिए हैं।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि लोक धारणा में जिन्हें अशुभ माना गया है वहां स्वाध्याय का निषेध हुआ है। 11. कल्पवृक्ष
. कल्पवृक्ष के संबंध में यह सामान्य या रूढ़ धारणा रही है कि कल्पवृक्ष मन-इच्छित वस्तुओं की संपूर्ति करते हैं। कल्पना करने मात्र से वे पदार्थ