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________________ जश्न सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ.६ के मिथ्यात्वगुणगणे उ बंधस्थानकें थश्ने ( १३एश६ ) नांगा होय. एनी भावना पूर्वे कही डे त्यांची जाणवी. ॥ इति समुच्चयार्थः ॥ ६॥ ॥अथ सास्वादनेऽष्टाविंशत्यादि बंधस्थानत्रयत्नंगप्ररूपकानाष्यगाथामाह ॥ ॥ हवे सास्वादन गुणगणानां जे अहावीशादिक त्रण बंधस्थानक , तेने विषे बंधना केटला नांगा उपजे, ते प्ररूपवाने नाष्यगाथा कहे .॥ अह सया चनसही, बत्तीस सयाई सासणे नेआ ॥ अहावीसाईसु, सवाणादिअ उन्नन ॥६॥ अर्थ-अहावीशने बंधे अह के आठ नांगा अने उगणत्रीशने बंधे सयाचनसही के चोशठसें नांगा, त्रीशने बंधे बत्तीससया के बत्रीशसें नांगा, ए रीतें सासणेनेत्रा के साखादन गुणगणे नांगा उपजे. अठावीसाईसु के अहावीशादिक त्रण बंधस्थानकें थश्ने सवाणशाहिउन्नतश् के सर्व मली उन्नुसें ने श्राप नांगा उपजे, तेनी नावना पूर्वे कही अने मिश्रादिक गुणगणे तो बंधस्थानकना नांगा थोडा ठे तेमाडे ते पूर्वे कह्या , तेम जाणवा. ॥अथ मिथ्यात्वसत्कैकविंशत्यायुदयस्थानके नंगप्ररूपिका गाथा ॥ हवे मिथ्यात्व गुणगणे एकवीश श्रादे देश्ने नव उदयस्थानके नांगा प्ररूपवा गाथा कहे .॥ एगचत्तिगार बत्ति, स उसय गतिसिगार नव नन॥ . सत्तरिगंसिगुत्तिस, चन्द गार चनसहि मिबुदया ॥ ६२॥ अर्थ- एकवीशने उदयें एगचत्त के एकतालीश नांगा, चोवीशने उदयस्थानके गार के अगीश्रार नांगा, पच्चीशने उदयें बत्तीस के बत्रीश नांगा, बबीशने उदयें उसय के बसें नांगा, सत्तावीशने उदय गतिस के एकत्रीश नांगा, अहावीशने उदये गारनवनउ के अगीबारसे ने नवाणु नांगा, गणत्रीशने उदयें सत्तरिगंसि के सत्तरसे ने एक्याशी नांगा उपजे. त्रीशने उदय गुत्तिसचनद के उंगणत्रीशसें ने चौद नांगा, एकत्रीशने उदयस्थानके गारच-सही के अगीथारसे ने चोशठ नांगा उपजे, मिबुदया के० मिथ्यात्वगुणगणे ए नव उदयस्थानकें थश्ने (१७७३) नांगा होय. ॥६॥ ॥ अथ सास्वादनकविंशत्यायुदयस्थानसप्तकनंगप्ररूपिकानाष्यगाथामाह ॥ ॥हवे सास्वादने एकवीशादि सात उदयस्थानकें नांगा प्ररूपवा नाष्यगाथा कहे .॥ बत्तीस उन्नि अध्य, बासी सयाय पंच नव उदया॥ बारदिआ तेवीसं, बावन्निकार ससयाय ॥६३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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