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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ.६
७४१ श्रारंजी होय, पण बीजां त्रण आयु बांध्या पली श्रेणी श्रारंने नहीं, तेमाटें बीजा त्रण जांगा, अप्रमत्तगुणगणा लगें कह्या, तथा मनुष्यने विषे परजवायु बंधथकी पूर्वे मनुष्यायुनो उदय अने मनुष्यायुनी सत्ता, ए नांगो प्रथम तिर्यंचना जांगानी साथे कहेलो . एवं नव नांगा मनुष्यगतिने विषे आयुना कह्या, शरवाले थहावीश नांगा आयुःकर्मने संवेधे थाय.
हवे गोत्रकर्मने विषे सामान्य एकनो बंध तथा एकनो उदय होय, जे जणी उच्चैर्गोत्र तथा नीचैर्गोत्र, ए बेहु प्रकृति उदय तथा बंधे विरोधिनी . ते जणी बेहुनो उदय तथा बंध साथें न होय, एकेकीनो जूदो जूदो बंध तथा उदय होय, तेथी एकज प्रकृतिनुं बंधस्थानक तथा एकज प्रकृति, उदयस्थानक होय, अने सत्तास्थानक तो एक प्रकृतिनुं तथा बे प्रकृति, एवं बेहु होय, ते कहे जे. जेवारें तेउ अने वाउकायमांहे रहेतो थको जीव उच्चैर्गोत्र उवेलीने सत्ताथी टाले, तेवारें तेज वाज मध्ये तथा तिहांथी मरी बीजा अवतारमा आवीने जिहां लगें फरी उचैर्गोत्र न बांधे, तिहां लगें एक नीचैर्गोत्रनी सत्ता जाणवी, तथा बीजुं अयोगीगुणगणाना चरम समयें एक उच्चैर्गोत्रनुं सत्तास्थानक होय, एम बे प्रकारनु एकेक प्रकृतिनुं सत्तास्थानक पहेवू जाणवू. श्रने बीजं तो वे प्रकृतिनी सत्तारूप सत्तास्थानक जाण. __ हवे गोत्रकर्मने विषे संवेध कहीयें बैयें. एक नीचैर्गोत्रनो बंध, नीचैर्गोत्रनो उदय अने नीचैर्गोत्रनी सत्ता, ए नांगो तेउकाय अने वायुकाय मध्ये उच्चैर्गोत्र उवेट्या पली होय. तथानीचैर्गोत्रनो बंध, नीचैर्गोत्रनो उदय अने उच्च तथा नीचगोत्रनी सत्ता ए एक नंग, तथा नीचैर्गोत्रनो बंध, उच्चगोत्रनो उदय अने उच्च तथा नीच, ए बेहुनी सत्ता, ए बे नांगा मिथ्यात्व तथा साखादन, ए बे गुणगणे होय, केमके श्रागले गुणगणे नीचैर्गोत्रनो बंध नथी, तेजण तिहां न होय, तथा उच्चैगोत्रनो बंध, नीचैगोत्रनो उदय अने बेहु गोत्रनी सत्ता, ए नांगो मिथ्यात्वथी मांमीने देशविरति गुणगणा लगें होय, केमके श्रागले गुणगणे नीचैर्गोत्रनो उदय नथी, ते नणी न होय, तथा उच्चनो बंध, उच्चैर्गोत्रनो उदय अने बेहुनी सत्ता, ए नांगो दशमा गुणबाणा लगें होय. आगले गुणगणे गोत्रबंधना अन्नावथी ए नांगो न होय, तथा उच्चैर्गोत्रनो उदय अने उच्चैर्गोत्र तथा नीचैर्गोत्र, ए बेहुनी सत्तानो नांगो अगीयारमा गुणगणाथी मामीने चौदमा गुणगणाना हिचरम समय लगें होय, तथा उच्चैगोत्रनो उदय अने उच्चैर्गोत्रनी सत्ता, ए नांगो अयोगी गुणगणाना बेहेला समयने विषे होय. एम सात नांगा गोत्र कर्मना संवेधे होय. ए रीतें वेदनीय, श्रायु अने
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