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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ गणां कह्यां, अने जे तिर्यंच मरी मनुष्य थोशे तेने मनुष्यायुनो बंध, तिर्यगायुनो उदय अने मनुष्यायु तथा तिर्यगायु, ए बेनी सत्ता जाणवी. ए नांगो पण पहेले अने बीजे ए बे गुणगणे पामीयें, तथा जे तिर्यंच मरी देव थाशे, तेने देवायुनो बंध, तिर्यगायुनो उदय श्रने देवायु तथा तिर्यगायु, ए बेनी सत्ता, ए नांगो एक मिश्रगुणगणा विना देशविरति गुणगणा लगें चार गुणगणे पामीयें. तथा जे तिर्यंच मरीने नरकें जाशे तेने नरकायुनो बंध, तिर्यगायुनो उदय श्रने तिर्यगायु तथा नरकाय ए बेनी सत्ता, ए नांगो मिथ्यात्वीने होय. ए चार नांगा श्रायुबंधकालावस्थायें तिर्यचने होय. हवे आयुर्बध करी रह्या पली पाबली उत्तरावस्थायें बंधशून्य चार नांगा होय, ते देखाडे बे. एक तिर्यगायुनो उदय अने बे तिर्यगायुनी सत्ता, बीजो तिर्यगायुनो उदय अने तिर्यगायु तथा मनुष्यायु, ए बेनी सत्ता, त्रीजो तिर्यगायुनो उदय अने तिर्यगायु, देवायु, एबेनी सत्ता, चोथो तिर्यगायु,नो उदय अने तिर्यगायुनरकायु, ए बेनी सत्ता, ए चार जांगा होय, तेमध्ये जेणे आयुर्वधकालावस्थायें जे गतिनुं श्रायुबांध्यु होय, तेने उत्तरावस्थायें बंधशून्य नांगो जाणवो. एटले नव नांगा तिर्यंचनी गतिथी उपजे.
तेम मनुष्यने पण नव जांगा जाणवा, परंतु एटबुं विशेष जे परजवायुबंधावस्थाकालें जे मनुष्य मनुष्यायु बांधे, तेने मनुष्यायुबंध, मनुष्यायुदय अने बे मनुष्यायुनी सत्ता, तेमां एक मनुष्यायु तो जोगवे ते अने बीजो बांधे ते, एम बेहुनी सत्ता होय, तथा जे मनुष्य तिर्यगायु बांधे तेने तिर्यगायुनो बंध, मनुष्यायुनो उदय अने तिर्यगायु तथा मनुष्यायु, ए बेहुनी सत्ता, ए नांगो होय. ए बे जांगा मिथ्यात्व तथा सास्वादन, ए बे गुणगणे लाने, जे नणी मनुष्य तथा तिर्यंच सम्यक्त्वी थका देवायु बांधे, पण बीजुं थायु न बांधे, तेमाटें चोथे गुणगणे ए नांगा न होय. तथा जे मनुष्य देवायु बांधे, तेने देवायुनो बंध,मनुष्यायुनो उदय अने मनुष्य तथा देवायु, ए बेनी सत्ता, ए नांगो एक मिश्रगुणगणा विना अप्रमत्त गुणगणा लगे गुणगणे पामीयें, तथा जे मनुष्य, नरकायु बांधे तेने नरकायुनो बंध, मनुष्यायुनो उदय तथा मनुष्य श्रने नरकायु ए बेनी सत्ता, ए नांगो मिथ्यात्वगुणगणे लाने. ए चार थायुबंध कालावस्थाना नांगा जाणवा. हवे श्रायुबंध काल पड़ी आगले यथानुक्रमें उत्तरावस्थाये ए चार जांगा बंधशून्य कहेवा, ते कहे . एक मनुष्यायुनो उदय, तथा बे मनुष्यायुनी सत्ता, बीजो मनुष्यायुनो उदय श्रने मनुष्य तिर्यगायुनी सत्ता, त्रीजो मनुष्यायुनो उदय अने मनुष्यायु तथा नरकायुनी सत्ता, 'ए त्रण नांगा मिथ्यात्वथी अप्रमत्तगुणगणा पर्यंत लाने. चोथो मनुष्यायुनो उदय अने देव तथा मनुष्यायुनी सत्ता, ए नांगो अगीारमा गुणगणा पर्यंत लाने. केम के देवायु बांध्या पडी वली श्रेणी पण
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