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________________ ४ए संग्रहणीसूत्र. वडवृक्षनु चिन्ह, राक्षसने खटुंगे के तापस विशेष महावृत्तिना उपकरण- चिन्ह, किन्नरने अशोकवृदनु चिन्ह, किंपुरुषने चंपयए के चंपकवृदनु चिन्ह, महोरगने नागवृदनु चिन्ह, गंधर्वने तुंबरुव के तुंबराना वृदनु चिन्ह. एमां खडंगविवजिया के एक खटांग वर्जिने बाकी सर्वेने रुका के वृदनां चिंधे के चिन्ह जाणवां. ते चिन्ह व्यंतरदेवोनी नए के ध्वजानेविषे होय ॥ ३॥ ॥ हवे ए व्यंतरदेवोना शरीरना वर्ण कहे .॥ जक पिसाय महोरग ॥ गंधवा साम किंनरा नीला ॥ रक स किंपुरिसाविय ॥ धवला नूया पुणो काला ॥ ३० ॥ अर्थ- एक जरक के जद, बीजा पिशाच, त्रीजा महोरग, चोथा गांधर्व, ए चारनो वर्ण साम के० श्याम एटले किंचित् कृष्ण जाणवो. अने किनरा के किन्नर घणा श्याम पण नीला के० किंचित् नीलवर्णे जाणवा, अने राक्षस तथा किंपुरिसाविय के० किंपुरुष पण धवला के उज्वल वर्णे , तथा नूया के नूतनिकायना देवो ते पुणो के वली काला के श्यामवर्णे बे, एटले सर्वात्माए कृमवणे . ॥ ३० ॥ ॥ हवे आठ जातना बीजा व्यंतर विशेष देवो ते कहे . ॥ अणपन्नी पणपन्नी ॥ इसिवाई नूयवाईए चेव ॥ कंदीय महा कंदी ॥ कोदंडे चेव पयएय ॥ ३ए॥श्य पढम जोयण सए ॥ रयणाएअ वंतरा अवरे ॥ तेसु इह सोलसिंदा रुयग अहो दादिणुत्तर ॥४०॥ अर्थ- एक श्रणपन्नीनिकाय, बीजो पणपन्नीनिकाय, त्रीजो कृषिवादी निकाय, चोथो जूतवादीनिकाय, चेव के निश्चे, पांचमो कंदित निकाय, बहो महाकंदितनिकाय, सातमो कोहंडिकनिकाय, चेव के निश्चे, थाउमो पयएय के पतंगनिकाय. ॥३ए ॥ श्य के० ए श्रागनिकाय ते रयणाए के रत्नप्रनापृथ्वीना पिंझमाहेला पढमजोयणसए के पदेला सो योजनमांहेला दशयोजन उपर, अने दशयोजन नीचे मूकी वचमांना एंसी योजनमांहे वसनारा अह के आठ जातना व्यंतर ते, पूर्वे जे आठ जातना व्यंतर कह्या तेथी अवरे के निन्न जाणवा. तेसु के० तेना रुयगश्रहो के० श्रावरुचक प्रदेशथकी दशयोजन अधो एटले नीचे जे एंसी योजन बे, तेमा रहेला दाहिणुत्तर के दक्षिण अने उत्तरदिशीना नेदे करी सोलसिंदा के सोल शो . तेमनां नामाई के नाम ते श्य के आगली गाथाए कहेशे. संनिदिए सामाणे ॥श विहाए इसीय इसिवाले ॥ ईसर महे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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