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________________ ४१ संग्रदणीसूत्र. ॥ हवे बारे देवलोकोना इंशोने रेहेवानां स्थानक कहे . ॥ कप्पस्स अंतपयरे ॥ निय कप्प वडिंसया विमाणा ॥ इंद निवासा तेसिं ॥ चमदिसि लोगपालाणं ॥१७॥ अर्थ- कप्पस्स के कटप जे देवलोक तेना अंतपयरे के अंतनो प्रतर एटले सर्व देवलोकना बेला प्रतरना मध्य नागनेविषे प्रत्येके नियकप्पवडिं सिया के निजकल्पवतंसक एटले पोतपोताना कल्पने नामे अवतंसकनामा विमान बे. एटले सौधर्मदेवलोकना उपरना तेरमा प्रतरनेविषे सुधर्मावतंसक नामा विमान बे; तेम ईशान देवलोकना तेरमा प्रतरनेविषे ईशानावतंसक नामा विमान बे. ए रीते सर्व देवलोके जाणवू. पण एटलुं विशेष जे नवमा तथा दशमा ए बे देवलोकनो एक इंड बे. त्यां चोथा प्रतरे प्राणावतंसक नामा विमान बे. अने अग्यारमा तथा बारमा ए बे देवलोकनो पण एकज इंस जे. त्यांपण चोथे प्रतरे अचुतावतंसक नामा विमान . ए अ. वतंसकनामा विमानोनेविषे इंदनिवास के इंजनो निवास बे, थने तेसिं के ते विमानने चऊ दिसि के चारेदिशिनेविषे चार विमानो जे बे, त्यां लोगपालाणं के सोम, यम, वरुण ने वैश्रमण ए चार लोकपालोनो निवास बे. ॥ १७ ॥ ॥हवे सौधर्मेजना चार लोकपालोनुं उत्कृष्टायु कहे .॥ सोम जमाणंसतिनाग पलिय वरुणस्स उन्नि देसूणा॥ वेसमणे दो पलिया ॥ एस हि लोगपालाणं॥१७॥ अर्थ- पूर्वदिशिनो लोकपाल सोम, अने दक्षिण दिशिनो लोकपाल यम- ए बेजनो सतिनाग लिय के एक पट्योपमना त्रीजा नाग सहित एक पल्योपम थायुष्य . तथा त्रीजो पश्चिमदिशिनो वरुणनामा लोकपाल , तेहनुं आयुष्य - निदेसूणा के० देशे ऊणा बे पढ्योपम . वली उत्तर दिशिना वैश्रमण नामा चोथा लोकपालतुं आयुष्य दोपलिया के बे पक्ष्योपमनुं बे. एसहिश्लोगपालाणं के ए सौधर्मेजना चारे लोकपालना आयुष्यनी स्थिति जाणवी ॥ १७ ॥ एटले देवताना आयुष्यनुं प्रथम छार संपूर्ण थयुं. ॥हवे देवगतिनेविषे जुवनसंबंधी बीजुं हार कहे जे.॥ असुरा नाग सुवन्ना ॥ वि अग्गीय दीव उदही॥ दिसि पवण थणिय दसविद ॥ लवणवई तेसु उइंदा ॥२॥ अर्थ- देवताना चार निकायमा प्रथम जुवनपतिनो निकायमा जुवन कहेवाने अर्थे पहेला जुवनपतिनी दश जातोनां नाम कहे . जे नहीं सुर ते असुर. एटले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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