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शतकनामा पंचम कर्मग्रंथ. ५
संख्यातगुणो. (३५) तेथकी सन्नी पंचेंद्रिय अपर्याप्तानो उत्कृष्ट स्थितिबंध संख्यातगुणो. (३६) तेथकी सन्निया पंचेंद्रिय पर्याप्ता मिथ्यात्वीनो उत्कृष्ट स्थितिबंध, संख्यातगुणो. विंधाऽणुकम संखगुणा के० इहां साधुना उत्कृष्ट स्थतिबंध थकी लेइने नव बंधना स्थानकपर्यंत अनुक्रमे संख्यातगुणा करतां पण कोकाकोडी सागरोपममांहे होय. तेथी ए सर्व बंध अंतः कोकाकोमीना कहीयें. ए परिभाषा जाणवी .
एक सन्निया पर्याप्ता मिथ्यात्वीनो उत्कृष्ट स्थितिबंध अंतःकोडकोडी सागरोपमथी अधिक होय. एम साधुना उत्कृष्ट स्थितिबंधथी लेइ सन्निया पंचेंद्रिय पर्याप्ता मिथ्यावीना स्थितिबंध लगें सघला स्थितिबंध संख्यातगुणा लेवा ए स्थितिबंधनों प बहुत्व कहेवे करी उत्कृष्ट तथा जघन्य स्थितिबंधना स्वामी पण कह्या ॥ ५१ ॥
easy कशे के स्थितिबंध छाने रसबंध तो कषाय प्रत्ययिया बे, तेथी शु प्रकृतिनो रस, कषायनी मंदतायें उत्कृष्ट होय अने कषायनी तीव्रतायें जघन्य होय तथा शुन प्रकृतिनो रस कषायनी तीव्रतायें उत्कृष्ट होय ने कषायनी मंदतायें जघन्य होय, तेवीज रीतें शुन प्रकृतिनी स्थति पण कषायनी मंदताये उत्कृष्ट होय छाने कषायनी तीव्रतायें मंद होय, तथा अशुभ प्रकृतिनी स्थिति पण कषायनी मंदतायें उत्कृष्टी होय छाने कषायनी तीव्रतायें मंद होय, एम न कहेतुं जोयें, माटें अहां जे विशेष फेर बे, ते कहे . ॥
सावि जि अमुदा जं साइ संकिलेसेणं ॥ इरा विसोहि पुण, मुत्तं नर अमर तिरि प्रान ॥ ५२ ॥
अर्थ- सवाविजिहहि के० सर्व कर्मप्रकृतिनी उत्कृष्टी स्थिति स्वस्वबंध प्रा योग्य संक्लेश परिणामें बंधाय, ते जणी असुदा के० अशुन एटले मेलें परिणामें बंधाय. जंसा इस किलेसेणं के० जे कारणें उत्कृष्ट स्थिति अतिसंक्लेशें तीव्रकषायोदयें बंधाय बे, तेमाटें शुभ तथा अशुभ प्रकृतिनी जे उत्कृष्ट स्थिति बंधाय, ते सर्व अशु जाणवी. जे जणी स्थितिबंध, सर्व प्रकृतिनो संक्वेशनी वृद्धियें बंधाय बे, अने जेम जेम विशुद्धि होय, तेम तेम स्थितिबंध हीन यातो जाय, पण रसबंधनी पेरें स्थितिबंध शुभाशुभ न लेवो. जे उत्कृष्ट स्थितिबंध बे ते संक्लेशनुं कार्य बे, ते माटें एकसो ने सत्तर प्रकृतिनो उत्कृष्ट स्थितिबंध, पोतपोताना बंधाध्यवसायस्थानकमध्यें मीन ध्यवसाय स्थानकें बंधाय, तेथी ए एकसो ने सत्तर प्रकृतिनो उत्कृष्ट स्थितिबंध, ते शुन कहीयें, अने ए उत्कृष्टी स्थितिथकी इारा के० इतर एटले जो जे जघन्य स्थितिबंध बे ते विसोहि के० विशुद्धिनुं कार्य बे, एटले जैम
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