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शतकनामा पंचम कर्मग्रंथ. ५ (११) प्रिय पर्याप्ताना जघन्यस्थितिबंध थकी अपजो के बेंजिय अपर्याप्तानो जघन्य स्थितिबंध विशेषाधिक होय. जे नणी बेंडिय पर्याप्ताना जघन्य स्थितिबंध विशेष पल्योपमना संख्यातनागना समय जेटला असंख्याता स्थिति विशेष तेने गर्ने बेंजिय अपर्याप्ताना स्थिति विशेष स्तोक होय तेणे जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थितिनो बंध श्रांतलं स्तोक होय, एटले अगीबार स्थानक थयां.
(१५) अपजिविगुरुअहिगो के ते थकी बेंझिय अपर्याप्तानो उत्कृष्टस्थितिबंध विशेषाधिक होय.
(१३) ते थकी श्यर के इतर एटले बीजा जे बेंजिय पर्याप्ता जीव ले तेनो उत्कृष्टस्थितिबंध विशेषाधिक एटले कांशएक जाजेलं होय.
(१४) एवं तिचउश्रसन्निसु के० एम तेंजिय, चौरि जिय, श्रने असंझी पंचेंजियने विषेपण चार चार बोल कहेवा, परंतु एमां नवरं के एटलुं विशेष ले जे विश्र के बेंजिय पर्याप्तानेविषेशने श्रमणपङो के असंझीपंचेंजिय पर्याप्ताने विषे पहेले बोलें संखगुणणो के० संख्यातगुणों बंध कहेवो. एटले बेंछिय पर्याप्तानो उत्कृष्टस्थितिबंध पच्चीश सागरोपम प्रमाण ने तेथकी तेंघिय पर्याप्तानो जघन्य स्थितिबंध विशेषाधिक होय, जे जणी बेजियथी बमणो बंध तेंजियने बे, अने जो त्रिगुणो होय तो संख्यात गुणो कहीये. परंतु तेथी हीन बे, माटें विशेषाधिक का. अहींयां जो पण तेजियने पुरुष वेदादिकनो जघन्य स्थितिबंध सागरोपमना सातश्या पच्चाश नाग पत्योपमने असंख्यातमे जागें ऊणा ते बंध बेंजियना मिथ्यात्वमोहनीयना बंधथी हीन पण होय, तथापि ते अहीं विवदयो नहीं; परंतु अहीं तो खख प्रकृतिनी अपेक्षायें उत्कृष्टी तथा जघन्य स्थिति लेवी एटले प्रत्येक एकेकी प्रकृतिनी स्थितिमा एक बीजा जीवोना बंधने विषे उत्कृष्टी तथा जघन्य स्थिति लेवी तेणे करीने स्थितिबंधनुं शल्प बहुत्व जाणवू. एवं चौद स्थानक कह्यां.
(१५) तेंजिय पर्याप्ताना जघन्य स्थितिबंधथकीतेंघिय अपर्याप्तानो जघन्यस्थितिबंध विशेषाधिक होय, जे नणी तेंजियना जघन्य उत्कृष्ट स्थिति विशेषने गर्ने पर्याप्ताना सर्व स्थिति विशेष बे, (१६) तेथकी तेंजिय अपर्याप्तानो उत्कृष्ट स्थितिबंध विशेषाधिक. (१७) तेथकी वली तेंघिय पर्याप्तानो उत्कृष्टस्थितिबंध विशेषाधिक बे... । (१०) ते थकी चौरिंजिय पर्याप्तानो जघन्यबंध विशेषाधिक बमणा . ते जणी, (१५) ते थकी चौरिंजिय अपर्याप्तानो जघन्य स्थितिबंध कांइएक अधिक डे.
(२०) ते थकी चौरिंजिय अपर्याप्तानो उत्कृष्टबंध विशेषाधिक. (२१) ते थकी चौरिंजिय पर्याप्तानो उत्कृष्टस्थितिबंध विशेषाधिक. अहींां विशेषाधिकने स्थानकें
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