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________________ इंज्यिपराजयशतक. बे मति जेनी एवो श्रासीत् के होतो हवो. माटे ही विसया के ही इति खेदे धिकार ने विषयने! ॥ ६॥ मयणपवणेण के मदनरूपी पवने करी जर के जो मेरुपर्वत सरखा निच्चलाचलिया के निश्चल एवा चल्या तो पडे पक्कपत्तसत्ताण के पाकां पांदमां सरखां जे जीवनां सत्व बे एवा इअर के इतर सत्ताण के सत्व एवा जीवोनी कावत्ता के शी वार्ता ? अर्थात् कामदेवरूपी पवने करी मेरुपर्वत सरखा धैर्यवंत पुरुषो चलायमान थया, तो पनी अल्पसत्ववाला एवा जीवोनीशी वार्ता? ६ए जिप्पंति सुदेणं चित्र दरि करि सप्पाइणो मदाकूरा ॥ इकु वियोः कामो कय सिवसुद विरामो॥४०॥ विसमा विसय पवासा अणाश्नवनावणा जीवाणं ॥ अश्ऽद्येतह आणिय इंदिआई चंचलंचित्तं ॥७॥ व्याख्या-हरि के सिंह, करि के हाथी अने सप्पाइणो के सादिक महाकरा के महाक्रूर एवाउने सुहेणं जिप्पंति के सुखे करीने जीताए, पण कय सिवसुह विरामो के कस्यो डे मोक्षसुखथी विराम जेणे एवो इक्कुविय के एक पण कामो के कंदर्प, ते उठ के जीतवो उर्लन . ॥ ७० ॥ जीवाणं के जीवने विसमा के विषम एवा विसय के विषयोनी पवासा के पिपासा एटले तरस बे, अने प्रणा के अनादिनी, नवजावणा के संसारनी नावना बे; अने इंदिश्रा के इंजिन डे ते अश्शे के अतिशय पुर्जय डे, तह के० तेमज चित्तं के चित्त ने ते चंचलं के चपल . ॥ ७॥ कलमलअर अनुरकी वाही दादाइ विविद उस्काइ॥ मरणंपित्र विरहाइसु संपनइ कामतविआणं ॥ २ ॥ पंचिंदिय विसय पसंगरेसि मणवयण काय नवि संवरेसि ॥ तं वाहिसि कत्तिअ गलपएसि जंअहकम्म नविनिशारसि ॥७३॥ - व्याख्या-कामतविश्राणं के कामे करी तप्त श्रएला एवा जनोने, कलमल के कलमल, तथा अरश के अरति उपजे, अने जुरकी के नूख, वाही के व्याधि, दाहाश् के दाघ ज्वरादि प्रमुख विविहारकाई के विविध प्रकारनां कुःखो, मरणं के मरण, अने पिथविरहाई के प्रिय वियोगादिक संपनश के संपजे. ॥ ७ ॥ हे जीव ! पंचिंदिय विसय पसंगरेसि के पांच इंजिना विषय प्रसंगने माटे मणवयणकाय के मन वचन अने काया, नविसंवरेसिं के नथी संवरतो; अने जं के जे श्र कम्म के श्राप कर्मोने नवि निसारसि के नथी निर्करा पमाडतो तं के ते तुं वाहिसिकत्तिश्रगलपएसि के गलप्रदेशने गमे कत्ति के काती एटले कातर वाहे .७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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