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________________ 18 इंख्यिपराजयशतक. विसय विसेणं जीवा जिणधम्मंदारिमण दा नरयं॥वचंतिजदा चित्तय निवारिउँबंनदत्तनिवो॥६॥धीधी ताण नराणं जे जिणवयणा मयंपिमुत्तूण ॥ चमग विमंबणकरं पियंति विसयासवं घोरं ॥६५॥ व्याख्या-विसयविसेणं के विषयरूप जे विष तेणे करीने जीवा के जीव जिणधम्महारिऊण के० जिनधर्म हारीने हा इति खेदे नरयं के नरके जाय जे. जह के जेम चित्तय के चित्रसाधु एवा जे जा तेणे निवारि के वास्यो एवो जे बंजदत्तनिवो के ब्रह्मदत्तनृप चक्रवर्ति जेम संसारने विषे मनुष्य जव हास्यो तेम. ॥ ६४॥ धीधी के धिक्कार ! धिक्कार ! ताणनराणं के ते नरने, के जे के जे नर जिणवयणामयपि मुतूणं के जिनवचनरूपी अमृतने मूकीने चग विडंबणकरं के चारे गतिनी जे विडंबनानो करनार एवो जे विसयासवंघोरं के रौज एवो विषयासव के विषयरूप मदिरा तेने पियंति के पीए ने. ॥६५॥ मरणेवि दीणवयणं माणधरा जे नरा न जंपंति ॥ ते विहकुणंति लल्लिं बालाणं नेद गद गिदिला ॥ ६६ ॥ सक्कोविनेव सक्क मादप्पमडुप्फुरं जए जेसि ॥ तेवि नरा नारीहिं करावित्रा निअय दासत्तं ॥६॥ व्याख्या-मरणेवि के मरणकाल प्राप्त थयो उतां पण माणधरा जेनरा के मानने धारण करनार जे पुरुष ते दीनवयणं न जंपंति के दीनवचन न बोले, अने तेज पुरुष, बालाणं नेहगह गिहिला के बाला जे स्त्री तेनो जे नेहगह के० स्नेहरूपग्रह तेणे करीने गहिला के घेदेला थया थका लविंकुणंति के लालन करे . ॥ ६६ ॥ जेसिं के जेना माहप्पमफुप्फुरं के माहात्म्य श्रने आडंबर तेने जगत्मां शक्रोपि एटले इंछ पण खंमन नेवसकर के न करी शके. तेवी नरा के तेवा पण पुरुषोने नारीहिं के नारीए निश्रय के पोताना दासत्तं के दासपणा प्रत्ये कराविश्रा के कराव्या ॥ ६ ॥ जन नंदणो मदप्पा जिणनाया वयधरो चरमदेदो ॥ रहनेमी रायमई रायमई कासि दीविसया ॥६नामयण पवणेण जइ तारिसावि सुरसेलनिचला चलिआ॥ता पक पत्तसत्ताण श्अर सत्ताण कावत्ता ॥६॥ व्याख्या-जउनंदणो के यादवनो नंदन एटले पुत्र, महप्पा जिणनाया के महात्मा एवा जिन जे नेमिनाथ तेनो नाइ, वयधरो के व्रत्तधारी अने चरमदेहो के चरमशरीरी एवो जे रहनेमी, ते रायमई के राजीमती उपर रायमर्श के रागने विषे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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