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________________ ३४७ कर्मविपाकनामा कर्मग्रंथ. १ ॥ हवे त्रण वेदनो कषाय कहे . ॥ पुरिसिबि तउन्नयं पश्, अहिलासो जवसा दवइ सो उ ॥ थी नर नपुं वेद, फुफुम तण नगर दाहसमो॥१२॥ अर्थ-पुरिसि के पुरुषनी ला, लि के स्त्रीनी श्छा, तनयं के पुरुष तथा स्त्री बेहु पक्ष के प्रत्ये अहिलासो के० अनिलाष मैथुनसंज्ञारूप जवसा के जे कर्मने वशें जीवने हवश् के हाय सो के० ते 7 के तु शब्द परस्परनी अपेक्षायें की पुनःशब्दनो वाचक . थी के स्त्रीवेद, नर के पुरुषवेद, नपुं के नपुंसकवेद, ए वेद के वेदना उदयथी विषयनो ताप, फुफुम के कोउदाह, तण के तृणदाह श्रने नगरदाहसमो के नगरदाह सरखो, एम अनुक्रमे देवा ॥ इत्यक्षरार्थः ॥ २॥ वेद एटले जे कर्मना उदयथी जीवने पुरुषनुं दर्शन, स्पर्शन, आलिंगनादिक विष अजिलाष उपजे, जेम पित्तना जोरथी मिष्टान्न नावे, तेम पुरुष सोहामणो लागे, ते प्रथम स्त्रीवेदनोकषायमोहनीयकर्म. तथा जे कर्मप्रकृतिना उदयथी जीवने स्त्रीनुं दर्शन, थालिंगन, मैथुनादिकनी श्छा थाय, जेम श्लेष्मना जोरे करी खटाश जावे, ते पुरुषवेदनोकषायमोहनीय बीजुं जाणवं. तथा जे कर्मना उदयथी जीवने स्त्री अने पुरुष, ए बन्ने वेदनो अनिलाष उपजे; जेम पित्तश्लेष्मने जोरें करी खाटा, खारा उपर अनिलाष उपजे, तेम जे उजयवेद विषयिणी श्वारूप, ते त्रीजुं नपुंसकवेदनोकषायमोदनीय जाणवू. हवे ए वेदमाहे कया वेदनो विषय, केवो तीव, मंद होय ? ते दृष्टांतपूर्वक कहे बे. स्त्री, पुरुष, अने नपुंसक. ए त्रण वेदना उदयने विषे अनुक्रमें कोनो अग्नि, तृणनो अग्नि, अने नगर दाह, ते सरखा जाणवा. एटले स्त्रीवेदना उदयथी जीवने विषय, फुफुम एटले गणानो गोर तेनो अग्नि एटले कोज. ते जेम जेम खोरीयें, तेम तेम बलतो जाय. तेम, जेम जेम पुरुषना करस्पर्शादिक होय, तेम तेम स्त्रीने विषयानि वधतो जाय, ए प्रथम स्त्रीवेद. तथा पुरुषवेदने उदयें तृणखलाना अग्निनी पेरें अनिलाष थाय. जेम तृणाग्निनी ज्वाला, एकवार उठे पण पनी तरत समार जाय, तेम पुरुष पण स्त्रीसेवन करवाने उतावलो थाय, पण सेव्या पनी तरत समार जाय, ए बीजो पुरुषवेद जाणवो. तथा जेम नगर बलतां उकरडादिक लाग्या ते घणा दिवस सुधी बले, तेम नपुंसकवेदोदयें थयो जे विषय, ते कोश् रीतें निवृत्ते नहीं, ते त्रीजो नपुंसकवेद. एम वेदने कदेवे नव, नोकषाय कह्या, तेथी अहावीश मोहनीयनी प्रकृति कही ॥ २५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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