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________________ इंडियपराजयशतक. अने अजोगी पुरुष संसारथी मुक्त थाय जे. ॥ १७ ॥ श्रहो के लीलो श्रने सुक्को के० सूको एवा दो के बे महिआमया के० माटीमय गोलया के गोला बे, ते बेय गोला जीतने विषे श्रावडिया के अफाल्या, तेमाथी जो के जे अहो के लीलो गोला हतो ते तब के जीतनेविषे लग्ग के लागी रह्यो. ॥ १॥ एवं लगंति उम्मेदा जे नरा कामलालसा ॥ विरत्तोन न लग्गंति जदा सुके अगोलए ॥२०॥ तणकदिव अग्गी लवणसमुद्दो नईसहस्सेहिं ॥ न श्मो जीवो सको तिपेनं कामनोगेदि ॥१॥ व्याख्या-एवं के० ए प्रमाणे लगंति के लागे. उम्मेहा के ऽर्बुद्धि एवाजे नरा के पुरुष, कामलालसा के कामलंपट. एटले जे कामलंपट एवा पुर्बुकि पुरुषो बे, ते श्रा संसारनेविषे जीतने विषे लीला गोलानी पेरे लागी रदेबे, अने जे विरत्तो के संसारथी विरम्यो, ते जेम सूको गोलो जीतने विषे न चोटे-न लागे तेम न लग्गति के नथी लागतो॥२०॥ जेम तृणकठेहिव के जेम तृणकाष्ठे करीने अग्गी के अग्नि तृप्त थतो नथी, अने नदीना सहस्रोएकरी जेम लवण समुष तृप्त थतो नथी, तेम कामनोगे करीने था जीव पण तृप्त श्रवाने शक्तिवंत थतो नथी. ॥१॥ जुत्तूणवि नोगसुदं सुरनर खयरेसु पुण पमाएणं ॥पिसश्नरएसुनेर व कलकलएतनतंब पाणाशं॥२॥को लोनेण न निदर्ज कस्स नरमणीहिं नोलिअं दिअयंको मच्चुणा नगदि को गिछोनेव विसएदि ॥२३ व्याख्या- जीव नोगसुहं के लोगनां जे सुख, सुर के ते देवता, नर के मनुष्य श्रने खयर के खेचरने विषे जुत्तूणं वि के जोगवीने पण पुण के वली, पमाएणं के प्रमादेकरीने नरएसु के नरकने विषे नेरव के जयंकर एवा कलकलए के अग्निएकरी तप्त थएला तंबपाणा के० त्रांबाना पानने पिल के पीए. ॥२॥ को के० कोण पुरुष, लोनेण के लोने न निद के न निहत एटले नथी हणायो ? अने को के कोण पुरुषना हिश्रयं के हृदयने रमणी के स्त्रीए नजोलियं के नथी जोलव्यु ? अने को के कोण पुरुषने मचुणा के मृत्युए नगहि के नथी ग्रह्यो ? श्रने को के० कोण पुरुष, विसएहिं के विषयोए करी नेवगिको के नथी गृह थयो?२३ खणमित्त सुरका बहुकाल उरका ॥ पगाम उरका अनिकाम सुस्का॥ संसार मुकस्स विपक नूया ॥ खाण। अणबाण न कामनोगा ॥२४॥सव गदाणं पनवो मदागदो सब दोसपायहि॥कामग्गदो छरप्पा जेणनितअं जगं सवं ॥ २५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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