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________________ अनुक्रमणिका. १३ चौद गुणगणे आयुःकर्मना बंधादि स्थानना नांगा कह्या ..... .... पर १४ चौद गुणगणे मोहनीय कर्मना बंधादि स्थानकना नांगा कह्या बे. १५ मोहनीयना उदय नांगा तथा उदयपदवृंद ते योग, उपयोग अने वेश्या । साथे चौदे गुणगणे गुएया बे..... .... G०६ १६ चौद गुणगणे मोहनीयनां सत्तास्थानक कहीने संवेधे नांगा कह्या बे. .... १४ १७ चौद गुणगणे नामकर्मना बंधोदय, सत्तास्थानक अने नांगा कह्या . .... १६ १७ मिथ्यात्व श्रने साखादन गुणगणे मोहनीयनां बंधस्थानकना नांगानी संख्या __ तथा उदयस्थानकना नांगानी सरवाले संख्या कही अ. .... .... U२७ एए चार गतिने विषे नामकर्मनां बंधादि स्थानक कह्यां . .... २० एकेंजियादिकने विषे नामकर्मनां बंधोदय सत्तास्थानक कह्यां . .... ७३५ १ अहीश्रा उदीरणा न कही तेनुं कारण तथा एकतालीश प्रकृतिनो उदय उदीरणाए अंतर जे ते तथा कया गुणगणे कयी प्रकृति बांधे ? ते तथा जे गतिने विषे जेटली प्रकृति सत्ताए पामीए ते कडं . .... .... .... ३४ २२ उपशमश्रेणीनु स्वरूप विस्तारपूर्वक कडं . .... .... .... ३ २३ पकश्रेणीनुं स्वरूप विस्तारपूर्वक कह्यु बे..... .... .... ५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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