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लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. अझाबादर, पांचमुं देत्रसूक्ष्म, अने बहुं देत्रबादर, ए नेद पस्योपमना . परंतु अहींयां छीपसमुना मानने अर्थे उझार पक्ष्योपम खे. इति. ॥५॥
॥ हवे केटलाक छीपसमुजनां नाम चार गाथाए करी कहे . ॥
पढमो जंब बी॥धाय संडोय पुरकरो तां॥
वारुणिवरो चनन ॥ खीरवरो पंचमो दीवो॥६॥ अर्थ-पढमो के प्रथम जंबू के जंबुद्धीप बे, बी के बीजो धाश्यसंमो के धातकीखंग डे, य के वली त के त्रीजो पुकरो के पुष्करवर छीप बे, चउडो के चोथो वारुणिवरो के वारुणीवर बीप बे, पंचमो के पांचमो खीरवरो के दीरवर दीवो के बीप . ॥६॥
घयवरदीवो बहो ॥इकुरसो सत्तमोय अहम ॥
नंदीसरोय अरुणो ॥ नवमो श्चाश्त्र संस्किड़ा ॥७॥ अर्थ-उठो घयवर के० घृतवर द्वीप , सत्तमो के सातमो अने य के वली अहम के० आठमो श्कुरसो के कुरस अने नंदीसरो के नंदीश्वर बीप . एटले सातमो श्कुरस अने पाठमो नंदीश्वर बीप छे. य के वली, नवमो के नवमो अरुणो के अरुण छीप जे. श्चाश के० इत्यादिक असं रिकता के असंख्याता छीपो बे.॥७॥
सुपसबवलुनामा ॥ तिपडोयारा तहा रुणाईया ॥
इंगनामेविअसंखा ॥ जावय सूरावना सुत्ति ॥७॥ अर्थ-सुपसबवबुनामा के सुप्रशस्त वस्तुना नामे छीपसमुखो. यदाह जे कारण माटे श्री संग्रहणी मध्ये बाजरण वगंधे इत्यादि गाथा कहेली . ते गाथा लखे बे. यानरणवगंधे ॥ उप्पल तिलएयपउमनिहिरयणे ॥ वासहर दहनजे ॥ विजया वरकारकप्पिदा ॥१॥ कुरुमंदरावासा ॥ कूडानरकत्तचंदसूराय ॥अन्नेविएव. माई ॥ पसब बबुण जेनामा ॥२॥ तन्नामादीवुदही इत्यादि तहा के0 तथा तिपमोयारा के० त्रिप्रत्यावतारा एवा अरुणश्या के अरुणादि छीप . यथा अरुणः अरुपवर, श्रने अरुणवरावनास, ए प्रकारे एकेकानामे करी पण त्रण त्रण नामो ; तेवा गनामेवि के एकेकानामे करीपण असंखा के असंख्याता छीपो . जेम एक जंबुछीप , ते प्रकारे बीजा असंख्याता जंबुद्धीपो . तथा समुसो . एटले सुरवरावनास हीप तथा सुरवरावजास समुज्थकी फरी जंबुझीप अने लवणसमुज आदे देश असंख्याता छीप श्रने समुडो . ते सुरावनाससुधी जाणवा. पली वली जंबुद्धीप धुरथी मांडीने सुरावजाससुधी असंख्याता छीप समुन . एम असंख्यातिवार करता
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