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________________ २७३ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. श्रीचं सूरि तेणे संघयणी रयणमेयं के श्रा ग्रंथ जे संघयणरूप रत्न ते रहियं के रच्यु. अथवा हेमचंजसूरिना शिष्ये लव लेश एटले संक्षेप मात्रे सम्मं के० सम्यकूप्रकारे रच्यु. एम पण बीजो अर्थ थाय . ए ग्रंथ ज्यांसुधी श्रीमहावीर जगवंतनुं तीर्थ डे त्यांसुधी नंदो एटले साधु साधवी श्रावक श्राविका जणता समृद्धि पामो, ए प्रांत मंगल . शहां केटलोक गाथार्थ थकी समजजो, केटलोएक यंत्र थकी समजजो, केटलोएक गुणाकार जागाकारे करी समजजो, गुरुमुखे जेणे जेवो संघयणीनो अर्थ लीधो होय तेणे तेवो ए उपरथी संजारवो.ए सर्व धर्मध्याननुं बालंबन नेद बे, चित्त स्थिर करण कर्मदय हेतु ने तेमाटे जव्यजीव शुनप्रकृति बांधे. ॥ ३१ ॥ ॥ इति श्रीचंदसूरि रचित श्रीलघुसंग्रहणी सूत्र बालावबोधसहित समाप्तः ॥ ॥ श्रीपार्श्वनाथाय नमः ॥ अथ श्री रत्नशेखरसूरिकृत लघुक्षेत्रसमासप्रकरण बालावबोधसदित प्रारंन्नः वीरं जयसेदरपय ॥ पहियं पणमिकण सुगुरुं च ॥ मंत्ति ससरणा ॥ खित्तवियाराणु मुनामि ॥१॥ श्रर्थ-ग्रंथकर्ता श्रीरत्नशेखराचार्य एम कहे जे के हुँ वीरं के श्रीवर्धमानस्वामिने, ते केवाडे तोके-जयसेहरपयपहियं के जगत्तुं शेखर एटले लोकनुं श्रय एवं जे पद एटले स्थानक त्यां प्रतिष्टित ,अथवा बीजो अर्थ जगत्शेखरसूरि तेनां पटनेविषे प्रतिष्टित एवा श्रीवत्रसेनसूरिने एटले श्रीवीरपरमात्मा तथा गुरु जे श्रीवज्रसेनसूरि ते प्रत्ये पण मिऊण के प्रणाम करीने एटले नमस्कार करीने खित्तवियाराणु के क्षेत्रविचारना अणु एटले खेश प्रत्ये मंडत्ति के हुँ मंदमति एटले मूर्ख बु एमाटे सप्तरणका के पोताने संजारवाने अर्थे उछामि के कहीश. पण पंमित पुरुषोने माटे नहीं॥१॥ ॥ तेमां प्रथम त्रिगक्षेत्रनेविषे छीपसमुज्नुं सामान्यपणे मान कहे जे.॥ तिरिएगरकुखित्ते ॥ असंखदीवो दहीन ते सवे ॥ 3 झार पल्लिय पणविस ॥ कोडाकोडी समयतुल्ला ॥२ ॥ श्रर्थ-तिरि के त्रिनो जे एगरमुखित्ते के एकराज क्षेत्र ,तेनेविषे सवे के सर्वश्रसंखदीवोदही के० असंख्याता बीपसमुहले. ते के ते असंख्यातानुं प्रमाण कहे जे.जकारपलियपण विसकोडाकोडी के० पचीस कोमाकोडी उझार पस्योपमना समयतुझा के जेटला समय थाय, तेने तुल्य एटले तेटला छीपसमुल . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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