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________________ संग्रहणीसूत्र. १६७ नागे प्रथम समये अने अंत समये अहारक होय. अने विचाले एक समय, बे समय, अने त्रण समय अणाहारक होय. एक समये वक्रा केवीरीते होय ते कडे बे. सनाडीमांहे सातमी नरक तले मरण पामी, उर्फ लोकनी नावे तिणे दिशिएं उपजतां बे समय लागे, त्यां एक समयनी वक्रगति जाणवी. हवे अधोलोकनी पूर्वदिशिथी एक समये त्रसनामीमांहे श्रावे, बीजे समये उर्सलोकनी पश्चिम दिशिने मुखे आवे, अने त्रीजे समये उत्पत्ति स्थानके जश् उपजे, यहां त्रण समय लागे. एमां बे समयनी वक्रगति जाणवी. जेवारे अधोलोकनी विदिशिथी एक समये अधोलोकनी दिशिए श्रावे, बीजे समये त्रसनाडीमांहे श्रावे, त्रीजे समये चंचो जईलोकनी दिशिने मुखे थावे, अने चोथे समये उत्पत्तिस्थानके श्रावी उपजे, शहां चार समय लागे, तेमां त्रण समयनी वक्रगति जाणवी. अने जेवारे पहेले समये अधोलोकनी विदिशी थकी अधोलोकनी दिशिएं थावे, श्रने बीजे समये त्रसनामीमांहे आवे, त्रीजे समये उर्बलोके श्रावे, चोथे समये उऊलोकनी नावें तिणिदिशि श्रावे अने पांचमे समये विदिशिएं जश् उपजे, श्रहीयां पांच समय लागे, एमां चार समयनी वक्रगति जाणवी. अहींयां जेटला समय वक्र . तेटला समय अणाहारक जाणवा. ॥३०४ ॥ ॥ एहिज अर्थ सूत्रकार कहे .॥ गति चन वकासु ॥ उगाइ समएसु परनवादारो॥ उग वक्काइ सु समया ॥ग दोतिन्निय अणादारा ॥३०॥ अर्थ- एक समय, बे समय, त्रण समय, श्रने चार समयनी वक्रगतिएं बे श्रादि समये परजवर्नु थाहार करे. एटले एक समयनी वक्रगतिएं बीजे समये परनवाहार करे. बे समयनी वक्रगतिएं त्रीजे समये परजवाहार करे. त्रण समयनी वक्रगतिएं चोथे समये परजवाहार करे. चार समयनी वक्रगतिएं पांचमे समये परजवाहार करे, बे श्रादि वक्रादि गतिनेविषे एक, बे थने त्रण समय अणाहारक होय. शहां वात घण। विस्तारे . ते श्रीनगवतिसूत्रनी वृत्तिथी जो ले. त्यां चार समय अणाहारक अने पांचमे समये श्राहारक इति ए त्रीजो कह्यो. ॥ ३५ ॥ बहुकालवेयणिऊं ॥ कम्मं अप्पेण जमिद कालेणं ॥ वेशघर जुगवं चिय॥ जइन्न सबप्पए सग्गं ॥ ३०६ ॥ अपव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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