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________________ २६६ संग्रहणीसूत्र. अर्थ- देवता, नारकी, असंख्याता श्रायुष्यवाला तिर्यंच युगलिया तथा नर के मनुष्य युगलिया ए सर्व मास सेसाऊ के मास शेष आयुष्य थाकते परनवर्नु आयुष्य बांधे अने सेसा के शेष बीजा संख्यातायुष्यवाला तिर्यंच तथा मनुष्य, एकेंजी, बेंडी, तेंडी, चौरेंडी अने पंचेंडी निरुपक्रमायुष्यवाला पोताना जोगवता आयुप्यने त्रीजे नागे थाकता निश्चेथकी परनवनुं आयुष्य बांधे.॥३१॥ अने सोपक्रमायुष्यवाला मनुष्य, तिर्यंच, एकेंडी, बेंडी, तेंडी, चौरेंडी थने पंचेंडी ते पोताना श्रायुष्यने त्रीजे नागे थाकता परजवायु बांधे, अथवा नवमे नागे एटले त्रीजा जागना त्रीजे जागे, अथवा सत्तावीसमे नागे एटले नवमा नागना त्रीजे जागे, अथवा अंत मुहुत्तं के बेले अंतर मुहूर्ते अवश्य परजवनुं आयुष्य बांधे. एटखे बंधकासन प्रथम बार कह्यु.॥३०२ ॥ ॥ हवे अबाधाकालादिक, बीजुं श्रादे देश्ने छार कहे .॥ जश्मे नागे बंधो ॥ आनस्स नवे अबाद कालोसो ॥ अं ते नझुगश्ग ॥ समय वक चन पंच समयंता ॥ ३०३ ॥ अर्थ- जेश्मे के जे समे जागे एटले उमास अथवा त्रीजे जागे अथवा अंतरमुहूर्त थाकता परजवनुं आयुष्य बांध्यो बे ते जीवने ते अबाधाकाल, एटले बंध थकी उदयनी विचाले जे काल ते बीजु अबाधाकाल कदिएं. तथा अंते के अंतसमय एटले • श्रायुष्यनो जे लो समय जेना पड़ी परलवर्नु थायुष्य उदय श्रावे ते अंत समये परनवे जाता जीवने बे गति होय. तेमां एक जुगति, बीजी वक्रगति. तेमा जे उजुग के जुगति बे ते गसमय के एक समय प्रमाण बे, केमके समश्रेणीए रह्यो काल करी तेहिज समये उपजवाने स्थानके जश् उपजे तेने जुगति कहिएं. अने वक चल पंच समयंता के बीजी वक्रगति ते बाहुल्यपणे चार समय तथा केवारेक क्यांएक पांच समयनी पण वक्रगति थाय . ॥ ३३॥ ॥ एहिज अर्थ विस्तारे कहे .॥ नझुग पढम समए ॥ परनवियं आनयं तदा दारो ॥ वक्का बीय समए ॥ परनविया उदयमेई ॥ ३०४ ॥ अर्थ- जुगतिए प्रथम समए परजविक श्रायुष्य उदय आवे तहा के तेमज पहेले समये परजवनो आहार पण उदय आवे. वक्रगतिएं बीजे समये, परजवायु श्राहारोदय थावे. ते एक समयनी वक्रगति कहिएं. बीजी वक्राए त्रण समय लागे, त्रीजी वक्रायें चार समय लागे; चोथी वक्रायें पांच समय लागे, श्रहींयां सघले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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