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________________ संग्रहणीसूत्र. २५१ ॥ हवे पंचेंति तिर्यंचना नेदनी स्थिति विशेष कहे .॥ गन्न नुय जलयरो जय ॥ गनोरग पुव कोडि नकोसा ॥ गन्नचनप्पय परिकसु॥तिपलिय पलिया असंखंसो॥२६॥ अर्थ- गर्नज जुजपरिसप्पे गोह नोलियादिक तथा जलयर के जलचर ते मत्स्यादिक ते उन्नय के बे प्रकारे बे. एक गर्नज जलचर थने बीजा संमूर्बिम जलचर. तथा गप्लोरग के गर्नज उरपरिसर्प एर्नु उत्कृष्टायु एक पूर्व कोडी वर्षनुं जाणवं. वली गलोचउप्पय के गर्नज चतुष्पद जे गाय, नेस, उंट, घोडा, हाथी प्रमुख तेनुं उत्कृष्टायु त्रण पव्योपमनुं जाणवू. वली गर्नज पंखी जे चली, चास, सारस, मोर प्रमुख तेनुं उत्कृष्टायु पक्ष्योपमनो असंख्यातमो नाग जाणवू. हवे पूर्वनुं मान कहे बे. पुवस्स उपरिमाणं ॥ सय्यरि खलु वास कोडिलका ॥ उप्पन्नं च सहस्सा ॥ बोधवा वास कोडीणं ॥ २६२ ॥ अर्थ-चोरासी लाख वर्षे एक पूर्वांग होय, ते पूर्वांगने पूर्वांग साथे गुणाकार क. रिएं तेवारे सय्यरि खलुवास को डिलका के सीतेर लाख कोडी वर्ष भने बप्पन्नं च सहस्सा के बपन्न सहस्स कोमी वर्ष एटले (७०५६०००0000000 ) एटली संख्या वर्षे पूर्वन प्रमाण थाय. ॥ २६ ॥ ॥ हवे संमूर्बिम पंचेंडी थलचर प्रमुखनी उत्कृष्ठायु स्थिति कहे . ॥ संम्मुडि पणिंदि थलख यर ॥ जरग नूयग जिह हि कमसो ॥ वास सहस्सा चुलसी ॥ बिसत्तरि तिपम बायाला ॥१६३ ॥ अर्थ-संमूर्छिम पंचेंजी थलचर गवादिक ते गाय नेस प्रमुख. अने खयर के खेचर ते पदी बगला प्रमुख, उरग के ऊरपरिसर्प ते अजगर प्रमुख, अने जुयग के चूजपरिसर्प ते गोह नोलिया प्रमुख, जे संमूर्बिम जीवो डे तेनी जिाहिर कमसो के उत्कृष्टी श्रायुस्थिति अनुक्रमे चोरासी हजार वर्ष, बहुत्तेर हजार वर्ष, त्रेपन हजार वर्ष अने बेतालीस हजार वर्षनी जाणवी, ए अक्षरार्थ कह्यो. हवे जावार्थ कहे . संमूर्बिम पंचेंडी गाय प्रमुखनु उत्कृष्टायु चोरासी हजार वर्ष, संमूर्बिम पक्षी, बहुत्तेर हजार वर्ष, संमूर्बिम सर्प प्रमुखनुं त्रेपन हजार वर्ष, संमूर्बिम गोह नकुल- बेतालीस हजार वर्ष, एटले सर्व तिर्यंचनी उत्कृष्टी जवस्थिति कही. ॥ हवे एनी कायस्थिति कहे .॥ एसा पुढवाईणं ॥ नवहिईसंपयंतु कायलिई ॥ चन एगिदि सु णेया॥ उसप्पिणी असंखिजा ॥२६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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