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________________ संग्रहणीसूत्र. तेहनां दाहिण के दक्षिण दिशिनी श्रावली के विमाननी श्रेणीनां विमान ते मुणेयवा के जाणवां. तथा जे पुण के० जे वली उत्तर के उत्तर दिशिना ईशाने तथा माहें ते उत्तर के उत्तरदिशिनां विमाननी श्रावली के० श्रेणी ते तेसिं के तेमनी मुणे के० जाणवी. ॥ १० ॥ पुत्रेण पत्रिमेणय ॥ साममा आवली मुणेयवा ॥जे पुण वह विमाणा॥ मनिल्ला दादिणल्लाणं ॥ २०१॥ अर्थ- पूर्व दिशि अने पश्चिम दिशिना विमाननी आवली के श्रेणी ते सौधर्म तथा ईशान ए बे इंडने सामला के सामान्यपणे साधारण सरखी जाणवी. तथा जे पुण के० जे वली वदृविमाणा के वाटलां विमान मनिन के मध्य नागने विष बे, ते दाहिणवाणं के दक्षिण दिशिना सौधर्मेजना जाणवां. ॥ १०१॥ पुण पत्रिमेणय ॥ जेवहा तेवि दाहिणिलस्स ॥ तंस चनरंसगा पुण ॥साममा हुँति एहंपि ॥१०॥ अर्थ- पूर्वदिशि अने पश्चिमदिशिनां विमाननी श्रेणीने विषे जेवहा के जेटला वाटलां विमान बे, तेवि दाहिणिबस्स के० ते पण दक्षिणदिशिना सौधर्मेजना . श्रने जे तंस के त्रिखूणीयां अने चउरंसगा के चोखूणां विमान , ते पुण के वली सामना के सामान्यपणे कुएईपि के निश्चेथकी सौधर्म तथा ईशान मली बेउ इंजना हुँति के जे. एटले तेहना बेल इंश अर्को थर्ड धणी जाणवा. ॥ १० ॥ ॥हवे प्रतिदेवलोके श्रेणीनां विमाननी संख्या श्राणवा माटे उपाय कहे जे.॥ पढमं तिम पयरावलि ॥ विमाण मुह नूमि तस्समासई॥ पयर गुणमिह कप्पे ॥ सवग्गं पुप्फकन्नियरे ॥ १०३ ॥ अर्थ-सौधर्म अने ईशानादिदेवलोक क्रमे पढम के पहेला प्रतरनी श्रावली के० पंक्तिनी विमानसंख्या मुह के मुख कहीएं. श्रने अंतिम के बेहा प्रतरनी आवलीना विमाननी संख्या नूमि कहीएं. तस्स के० ते मुख अने नूमिना विमानोने ए. कां करीए तस के तेने समास कहीएं. तेनुं अकं के अर्क करीएं. पली श्व के० इष्ट जे वांबितदेवलोक, तेना जेटला पयर के प्रतर होय, तेटले प्रतरे गुणं के० गुणीए तेवारे ते वांबित कप्प के देवलोके श्रावलीका विमानोनी सवग्गं के० सर्व संख्या लाने. उदाहरण-जेम सौधर्म तथा ईशान ए बेज देवलोकनेविषे मुख (श्वए) वि. मान, अने बसें एक नूमी, ए बे एकगं करीएं तेवारे (४५०) थाय. एहनु थर्ड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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