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________________ वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन नियुक्ति, नाष्य, टीका, धने चूर्णि, एहमा जे कयुं ते सर्व सत्य कर। माने. ॥१॥ नदेशादिक नहीं चननाणनां ॥ सुअनाणनां तेह ॥ श्री अ नुयोगदूवारथकी लदी ॥ धरीए योगसुं नह ॥ स० ॥२॥ अर्थः-नद्देशादिकके उद्देश १, थादिशब्दे समुदेश, २ अनुज्ञा ३, धने अनुयो ग ४, ए चारे, नहि चननाणना के चारे ज्ञान जे मतिझान, अवधिज्ञान, मन पर्यवज्ञान अने केवलज्ञान ए चारना नथी. जे सुअनाणनां तेह के०, ते उद्देशा दिक श्रुतझानना . ते माटे जणुं नणावं अर्थ कह्योते श्रुतज्ञाननोज थयो. श्रीअनुयो गारथकीलही के पामीने योग साथे स्नेहधरीए. तेअनुयोगदारनोपाठ लखीए बैए. अथ सूत्रं-नाणं पंचविहं पन्नत्तं तंजहा आनिणिबोहियनाणं १ सुअना णं महिनाणं ३, मणपऊवनाणं ४, केवलनाणं ५, तब चत्तारि नाणा उप्पा ई वणिसाइं गोनदिसिशंति गोमुसद्दिसिशंति गोअन्नविशति सुअनास्स नसो समुदेसो अपुन्ना अणुगो । पवत्तइ जश्सुअनास्स उद्देसो समुद्देसो अणुना अणुगो पवित्त किंथंगपविस्त उद्देसो ४ पवत्तई अंग बाहिरस्स उसो ४ अंगपविठस्स विमद्देसो ४ इमं पुण पध्वणं पडुच्च अंग बाहिरस्स ॥ त्यादि अनुयोग सूत्रादौ ॥ अर्थः-नाणं पंचविहं के ज्ञान पांच प्रकारे, पन्नत्तं के कयुं . तंजहा के० ते कहे . यानिणिबोहियनाणं के मतिझान, सु थनाणं के श्रुतज्ञान, हिनाणंके अवधिज्ञान, मणपऊवनाएं के मनपर्याय ज्ञान थने केवलनाणं के केवलझान. तबके तेहमां, चत्तारि नाणाईके चार झान, छप्पाइं के० थापी मूकीए. वणिसाइं के० स्थापवा योग्य ले. गोनहिसि संतिके उद्देश ते सामान्य कथन, ते चार झानने नथी. गोसमुहिसिशंतिके स मुद्देश तेविशेषे कथन नथी. गोअनविज्ञति के अनुझा पण न थाय. एटले उ देश समुद्देश अनुज्ञानी क्रिया के ते न थाय; जे कारणमाटे मतिज्ञानादिक चार झान अपातुं लेवातुं नथी; तेमाटे सुअनास्त उद्देसो समुदेसो अणुना अणु गो पवत्त के श्रुतझाननो उद्देश समुद्देश अनुझा थने अनुयोग ते अर्थ कथन प्रवर्ते जे. जर सुअनाणस्स उद्देसो समुदेसो थाना. अणुउगो पवत्तइके जो श्रु तज्ञानना उद्देशादिक चारवानां प्रवत्त जे.किंचंग पविहस्स उद्देसोधपवत्तश्के तो गुं अंगप्रविष्टना उद्देशादिक चार प्रवर्ते ले के अंग बाहिरस्स उद्देसोधपवत्तश्के थंग बाह्यना उद्देशादिक चार प्रवर्ने ? जे माटे श्रुतज्ञाननो अंगप्रविष्ट याचारांगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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