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________________ वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन. ६४७ मुपदेश केम करे? " ते नपर ॥ मुनि उपदेश दिए ॥ एम सूत्रसाखे देखा जे. यतनाए सूत्रे का मुनिने ॥ आर्य करम उपदेश ॥ परि णामिक बुद्धि विस्तारे ॥ समजे श्राध अशेष ॥ सु० ॥१७॥ अर्थः-यतनाए के मुनिने सत्रने विषे,अर्थात नत्तराध्ययनसूत्रने विषे कडं, एट ले मुनि,आर्यकर्मनो नपदेश दीए. इतिनाव. पडी श्रा,परिणामिक बुद्धिए करी वि स्तारे, अशेष समजे. इत्यन्वय, श्राध के श्रावक, परिणामिक बुद्धि के बुद्धि प रिणमी जाए एवी बुदिए करीने, विस्तारे. अशेष समजे के सर्व समजी जाय. ते सूत्र पाते एले. ॥ जय सि नोए च असत्तो अजाईकम्मा करेहिरायं धम्मे हिन सवपयाणु कंपीतो होहिसि देवोइन विनवी ॥ १ ॥ व्याख्याः-चित्रमुनिए ब्रह्मदत्तने उपदेश घणो दीधो, पण प्रतिबोध न पाम्यो. तेवारे चित्रमुनि कहे .जय के जो, सि केतुंडे. जोए चश्न असत्तो के० नोग बांझवा असमर्थ: तो अऊ. इंकम्माइं के धार्यकाम, नत्तम लोकने नचित, एहवां कार्य जे अनुष्टान, करे हिरायं के हे राजन्, करजे. धम्मेहि के धर्मनेविषे रह्यो. प्रस्ताव थकी गृह स्थ धर्म लए एटले गृहस्थ धर्ममा रह्यो. सत्वपयापकंपी के सर्व प्रजा जे प्रा गी-तेमनीअनुकंपावंत थको तो केते आर्य कार्य करवाथीदोहिसिकेच्याश.देवो के देवता, इच के आ मनुष्यना नवथकी, विनवीके वैक्रिय शरीरवंत थइश. यहीयां कोश्क कहे जे “आर्य काम ते पोसह सामायिक लीजीए पण पूजा नही” तेने कहीए जे नोग बांझवा असमर्थ कह्यो ३ अने पोसह सामा यिकमां तो नोग बमाय ; माटे पूजा, प्रनावना,अने साहमिवबल प्रमुखज थावे. आर्यकार्य श्रावकनां जे॥ तेहमां हिंसा दिछ॥देतु स्व रूप अनुबंध विचारे॥ नाशे देई निज पिठ॥सुणारत॥ अर्थः-आर्यकार्य श्रावकनां जे ले के जे जे श्रावकनां आर्य काम , ते हमां हिंसा दिह के तेहमां एटले आर्यकाममां हिंसा दीती . ते हिंसा त्रण प्रकारे ले. ते त्रण प्रकार देखाडे . हेतु के एक हेतुहिंसा. स्वरूप के बीजी स्वरूप हिंसा अने अनुबंधकेत्रीजीयनुबंधहिंसा. विचारेके एत्रण नेद, हिंसाना विचारे तो, नाशे देश निज पि के ते पूजा प्रमुखमा हिंसा प्ररूपनारा कुमति, पोतानी पूत्र देश्ने नाशे पण युक्तिए टकी शके नही. इति अष्टादशमी गाथार्थ ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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