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________________ वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन विज्ञ वडियाए वट्टमाणीए सहएय साहस्सिएय सयसाहस्सिएय जाएय नाएय दलमाणेय दवावेमाणेय खनेमाणे पडिलेमाणे पडिब्बावेमाणे एवं विहरइ. इति कल्प सूत्रे. अर्थ-तएणं सिमडेराया के तेवारे सिक्षार्थराजा, दसा हियाए के० दश दिवसनी, विश्वडियाए के० स्थिति पताका कुलस्थितिरूप प्रवर्ने थके, सहएयके सैकडो गमे, साहस्सिएके हजारो गमे, सय साहस्सिएके लाखो गमे, जाएयके याग, अहिंयां यागशब्दे अरिहंतनी प्रतिमानी पूजा लेश्ए. दाएयके० | पर्वदिवसादिकनेविषे देख. नाएयके नागे साध्यु इव्य, तेहनो नाग. दलमाणे के० देता, दवावेमाणेके देवरावता, नेमाणेके जे पोताने लान थावे, पमिले माणेके० ग्रहेता, पमिबावेमाणेके ग्रहेवरावता. एवं विहरश्के एम विचरे. अहिंयां जिनप्रतिमानी पूजा लखोगमे कही,तेहमां ते कुमति,परमेश्वरना पिताने या गते पशुने होम एम कहे।; तेहना मुख उपर आचारांगनी साख रूप चपेटोमारेजे. श्रीजिन पासने तीरथे ॥ समणोपासक तेदोरे ॥ प्रथम अंगे कह्यो तेदने ॥ श्रीजिनपूजानो नेदोरे॥शा॥१३॥ अर्थः-श्रीजिनपासने तीरथेके श्रीपार्श्वनाथ स्वामिना तीर्थनेविषे, समणोपा सक तेहोके ते सिदार्थराजा तथा त्रिसलाराणी समणोनांउपासक एटले श्रावकले. प्रथमअंगेके ० प्रथमांग जे याचारांग, तेहनेविषे कह्युजे. तेहने के० एरीते ते सि दार्थ राजा बने त्रिसला राणीने, श्रीजिनपूजानो नेहोके० श्रीजिनेश्वरनी पूजानो स्नेह ले. ते श्रावक थका बीजा याग केम करे? इतिनाव. तथा वली यज् एवो धातु, देवपूजावाचक . ते मूढा अनकर न समजे. याचारांगे वीरनां मातपिता श्रमणोपासक कह्यां ; ते पालखीए बैए. समणस्स नगव महावीरस्स अम्मा पियरोपासावञ्चिता समणोवासगा आविहोबा तेणं बदुणिवासाणिसमणोवासगप रियागं पालश्त्ता बएहंजीव निकायाणं संररकणनिमित्तं बालोत्तानंदित्ता गरहित्ताय हारिहं उत्तरगुण पायद्वित्तं पडिव जित्ता कुससंथारं पुरुहित्तानत्तं पञ्चरकार्यति पञ्च रकायंतित्ता यजुए कप्पे देवताए उववन्ना तणं बाउरकएणं नवरकएणं निश्कएणं महा विदेहे वासे चरिमेणं नस्सासेणं सिसिसंति बुझिसंत्ति मुच्चेसंत्ति सबउरकाणमंतं करिस्संति ॥ अर्थः समस्सनगवन इत्यादि. श्रमण नगवान महावीरनां अम्मापिय रोके माता पिता, पासावञ्चिजाके पार्श्वनाथना अपत्य एटले शिष्य परंपरा तेहना, समणोवासग्ग थाविहोडाके० श्रमणोपासक श्रावक होता हवा. तेणं इत्यादि ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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