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________________ शोननकृतजिनस्तुति. ៤០ប अलंकाररूप एवा धराधीशसिधार्थधाम्नि-धराधीश के पृथ्वीपति एवो जे सिक्षा र्थ के सिद्धार्थ नामनो राजा, तेना धाम्नि के गृहनेविषे जातावतारः के० थयो के अवतार जेनो एवा, अने दितामः-दित के निवारण कस्योडे आम के रो ग जेणे एवा, अने अदोनवान के दोनरहित एवा, अने उदारतारोदितानंगना वलीलापदेहेक्षितामोहिताः-नदार के विशाल ने, तारा के कोकी जेनी, अने नदित के० प्रगट , अनंग के कामदेव जेने, एवी जे नारी के० मनु ष्य देवादिकोनी तरुण स्त्री, तेनी जे श्रावली के श्रेणी तेना जे लाप के ना षणो, बने देहेदित के० देहनेविषे कामबुझिए अवलोकन, तेए करीने अमोहित के मोहने नथी पामी अद के इंदिन जेमनी, एवा नगवन के तमे मम के मने निर्वाणशर्माणि के मोदसुखने अनवरतं के निरंतर वितर के समर्पण करो. समवसरणमत्रयस्याःस्फुरत्केतुचक्रानकानेकपछेउरुक्चामरोत्सर्पि सालत्रयी॥ सदवनमदशोकप्टथ्वीक्षणप्रायशोनातपत्रप्रनागुर्वरा राटपरैताहितारोचितं ॥प्रवितरतुसमीदितंसाऽहतांसंततिर्नक्तिना जांनवांनोधिसंभ्रांतनव्यावलीसेविताः ॥ सदवनमदशोकप्टथ्वी हणप्रायशोनातपत्रप्रनागुर्वराराटपरेतादितारोचितं ॥ २ ॥ व्याख्या-अत्रकेण्या जगत्ने विषे, यस्याः के छ जे अरिहंतश्रेणीनुं समवसर णं के धर्मदेशनास्थान, धाराराट् के अत्यंत शोनतुं हवं; साके० ते अस दवनमदशोकपथ्वी के० अविद्यमान जे सदवन के संतापसहित, मदके पाठ मद, अने शोक-तेए करी पृथ्वीकेमोहोटी एटले संताप, मद अने शोकएनए करीरहित एवी,समवसरण नूमि अने नवांनोधिसंत्रांतनव्यावलीसेविता-न व के संसाररूप जे थंनोधिके समुह, तेनेविषे संत्रांतके व्याकुल थएला जे न व्यके० नव्यप्रापि, तेनी जे ओवली के श्रेणी, तेणे सेवित के० सेवन करे ली एवी, अने दिपप्राकेण्झानरूप चहुने देनारी एवी अर्हतां के अरिहंतोनी जे संतती के श्रेणी, ते नक्तिनाजां के नक्तिवंत एवा पुरूषोनुं समीहितं के वांति त जे, तेने प्रवितरतु के० उत्पन्नकरो. ते समवसरण केबुंडे ? तो के-स्फुरत्केतुच कानकानेकपोकुरुक्चामरोत्सर्पिसालत्रयीसत-स्फुरत् के० स्फुरण पामनारो जे केतुके ध्वज, चक्र के धर्मचक्र, थानक के देवउनि, अनेकपद्म के देवोए र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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