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________________ शोलनकृतजिनस्तुति, G०३ । कमलनेविषे समध्यासीना के बेसनारी अने अंनोनृतघननिना के० उदके क रीपूर्ण एवा मेघसरखी श्यामवर्ण अने अंबोधितनयासमानाऽली के लक्ष्मीस रखी डे सखी जेनो एवी, काली के कालीनामे जे अधिष्ठायकदेवी, ते वः के त मारा विपद के० शत्रुना समुदायने दलयतु के नाश करो. ॥ ॥ इति श्रीन मिनाथजिन स्तुतिः संपूर्णा. ॥ २१ ॥ श्लोकसंख्या॥ ४ ॥ अवतरण हवे श्री नेमिनाथ जिननी स्तुति शार्दूलविक्रीडितवृत्तेकरीने कहे. चिदेपोर्जितराजकंरणमुखेयोलदसंख्यंदणा ॥ ददामंजन नासमानमहसंराजीमतीतापदं ॥ तंनेमिनमनम्रनि:तिकरंच केयदनांचयो॥ददामंजननासमानमहसंराजीमतीतापद॥२॥ व्याख्या-यःके जे नेमिनाथ नगवान्, रणमुखेके० संग्राममुखनेविषे लक्षसं ख्यंके० लदो संख्या जेनी, एवा ऊर्जितराजकंके ० बलवान् एवा राजाउना सैन्य ने कृष्णात् के वेगे करीने चिदेपके ज्यहां त्यहां पलायमान करतो हवो; च के अने यःके जे यदूनां के यादवोनी ददांके चतुर एवी राजीके श्रेणी ने अतीतापदंके गएलीने आपदा जेथी एवी चक्रेके करतो हवो; हेजनके हे जव्यजन! तुं तके ते नम्रनिर्वृतिकरके नमन करनारा प्राणीउने मोक्सुरखने देनारा एवा, अने अंजननासमानमत्सं-अंजनके काजल, तेना सर नासमा नके दैदीप्यमान महस्के तेज जेनुं एवा बने नासमानके पोताना स्वरूप नी कांतिए करीने शोनायमान एवा, अने अहसंके हास्यरहित एवा, अने राजी मतीतापदंके दीदाकालनेविषे राजीमतीनामे स्त्रीने विरहतापने देनारा एवा ने मिंके० श्रीनेमिनाथतीर्थकरने नमः के o वंदनकर ॥ १ ॥ प्राव्राजीङितराजकारजश्वज्यायोपिराज्यंजवा । यासंसारमहो दधावपिदिताशास्त्रीविदायोदित।यस्याःसर्वतएवसादरतुनोराजी जिनानांनवा । यासंसारमहोदधावपिहिताशास्त्रीविदायोदितं ॥२॥ व्याख्या-याकेजे जिनश्रेणी, उदितके उदय पामेला ज्यायोपिके अतिप्रौढ एवा पण, राज्यंके राज्यने रजश्वके तृणसर जवातके वेगेकरीने विहायके तजीने प्रावाजीत्के० प्रव्रज्याने ग्रहण करती हवी, अने यस्याकेजे जिनश्रेणी नु, पिहिताशास्त्रीविहायः-पिहिताके याबादित करीने अाशास्त्रीके दिशारूप स्त्री अने विहायस्के आकाश जेणे एवं, अने अदितके अखंम एवं सारमहाके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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