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शोननकृतजिनस्तुति. समदमहिता-असमदके मदरहित एवा पुरुष महितांके ० पूज्य एवी मतिके० बुदिप्रत्ये तनोतुके विस्तारकरो. ते जिनवरतति केवीले ? तो के-जीवालीनांके जीवोनी जे बालीके श्रेणी तेना उपर, अकारणवत्सलाके कारण विनाज वत्सलके स्नेहयुक्त एवी थने असमदमहिता-असमके निरुपम दमके० उप शम जेउनु एवा पुरुषोनी हिताके हितकारिणी अने अमारा के कामरहित एवी, अने दिष्टासमानवरा-दिष्टके० दीधोने, असमानके निरुपम एवो वर जेणे एवी, अने अजयाके० कोइथी जेनो जय थयो नथी एवी एटले पराजय रहित, एवी अने समानवराजया-मानवके० मनुष्य अने राजा--एनए युक्त एवा नमदमृतनु पक्क्या-नमत्के वंदन करनारा जे अमृतनुक् के० देव, तेनी जे पंक्तिके. श्रेणी-तेणे नूताके० स्तवन करेली, अने इष्टाके० सर्व जगतने गमनारी एवीने.॥
जवजलनिधिभ्राम्यजंतुबजायतपोत ॥ तनुमतिमतांस नाशानांसदानरसंपदं॥ समनिलषतामहन्नाथागमान
तनूपतिं ॥ तनुमतिमतांसन्नाशानांसदानरसंपदं ॥३॥ व्याख्या-नवके संसार-तेज जाणे जलधिके । समुह, तेनेविषे ब्राम्यत्केचमण पामनारो जे जंतुव्रजके० प्राणिसमूह, तेने तरवामाटे आयतपोतके वि स्तीर्ण नौकारूप एवा हे नवजनिव्राम्यजंतुव्रजायतपोत, एवा हे अर्हन्नाथागम के हे अर्हन्नाथागम! तुं सन्नाशनां-शन्नाके० गई आशा जेनी एटले निराश एवा अने सन्नाशानां-सत्के० डे, नाशके० मृत्यु जेने एवा, परंतु सदानरसंके० दानरू परसे सहित एवा पदंके स्थानप्रत्ये, समनिलषतां के ० इबा करनारा एवा मति मतांके बुद्धिमंत पुरुषोने, तनुमतिके० रहाण करवामाटे मतांके मान्य एवा, अने बानतनूपति-आनतके अत्यंत नम्र, नूपतिके राजाजेनेविषे एवी, नरसंप दंके० चक्रवर्ति वासुदेव प्रमुख मनुष्यनी संपतिने तनुके विस्तार कर. ॥३॥
धृतपविफलादालीघंटे करैःकृतबोधित ॥प्रजयतिमहाकाली माधिपंकजराजिनिः ॥ निजतनुलतामध्यासीनांदधत्यपरी दितां ॥ प्रजयतिमहाकालीमाधिपंकजराजिनिः ॥ ४ ॥ व्याख्या-महाकाली के० ते महाकाली नामे अधिष्ठायक देवी, प्रजयति के० नत्कष्टपणे जयवंत रहे . ते केवी ? तोके, जे कजराजिनिः-कज के कमल | तेना सरखी ले राजि के शोना जेनी, एवी अने धृतपविफलादाली घंटैः-धृत
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