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________________ सवासो गाथानुं स्तवन __ व्याख्या-ते संवेगपदी मुनि, गुणरागे पूरा बतां मार्गे प्रांशुक जल ग्रहणादिरूप जे जे जयणा पाले, ते तेहथी गुननाव इजा योग रूप लहीने पोताना कर्म टा लेने, सम्यक्त्वोत्पत्ति स्थानवचरित्रोत्पत्तिस्थानस्यापि गुणश्रेण्यंतर कोटि करणा संनवादिति नावः ते संवेगपदी महापुरुष, मानसांकडे लोकळते जे मुखे यापही नता नाषे ए एहनु उठरवतो. फोके फूलतो नथी. नक्तंच॥यार तरसमाणं सुद्ध करं माणसं कडे लोए॥संविग्ग परिक अन्नं उसनेणं फुडंका॥१॥इतिउपदेशमालायां प्रथम साधु बीजो वर श्रावक ॥त्रीजो संवेग पाखीजी ॥ एत्रणे शिव मारग कहीए ॥ जिहां के प्रवचन साखीजी ॥ शेष त्रण नव मारग कहीए ॥ कुमत कदाग्रह नरियाजी ॥ गृहि यति लिंग कुलिंगे लखीए ॥ सकल दोषना दरियाजी॥ १॥ व्याख्या-प्रथमके० पहेलो साधु, बीजो वर के प्रधान श्रावक, अने त्रीजो संवेगपदी; ए त्रण शिवमार्ग के मोदमार्ग कहीए. ज्यहां प्रवचन उपदेशमा लादिक सारखी . शेष के० थाकता रह्या जे त्रण, ते नव के० संसारमार्ग कही ए. जे कुमते अने कदाग्रहे नरेला बे. गृहस्थने सिंगे ब्राह्मणादिक, यति लिंगे निन्दवादिक, कुलिंगे तापसादिक लखीए के० जाणीए. ते केवा! तोके सकल दो पना दरिया. ॥ गाथा ॥ सावजोग परिवाणा सवोत्तमो अजधम्मो ॥ बीच सावय धम्मो तश्यो संविग्ग परकोय ॥ १ ॥ सेसा मिजादिही गिहिलिंग कुलिंग दवलिंगेहिं॥जहतिस्मिउ मोरकपहा संसार पहा तहातिहिं ॥२॥इति उपदेशमालायां जे व्यवहार मुगति मारगमां ॥ गुणगणाने लेखेजी॥ अ नुक्रमे गुणश्रेणिर्नु चढवू ॥ तेहज जिनवर देखेजी ॥ जे प ण व्यक्रिया प्रतिपाले॥ ते पण सन्मुख नावेजी॥शु बीजनी चंकला जेम ॥ पूर्ण नावमां आवेजी ॥२॥ व्याख्या-जे व्यवहार मुक्तिमार्गमांहे गुणठाणाने लेखे वचनानुष्ठानरूप होय. अनुक्रमे गुणश्रेणिए वधतीए चढवं तेहज श्रीजिनवर देखे जे. जे पण प्रीति नक्त्या दिरूपे इव्यक्रिया प्रतेपाले जे, तेपण गुक्तपदनी बीजनी चंकलानी जेम होय, तेम अनुक्रमे पूर्णमांहे आवे. एम अन्यास क्रिया पण सफली तो निजोचित्ते ज्ञानी संवेग पदीनी क्रिया शुक्ष्मार्गरूप होय. तेहमां युं कहेवू? ॥७॥ तेहज देखाडेडे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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