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________________ श्रीनिगोदब्त्रीशी. नकोसमसंखगुणं ॥ जहन्नयान पयं दवा किंतु ॥ नणु तदिसि फुसणानादिसि फुसणा नवेज्गुणा॥४॥ व्याख्या-नत्कृष्टपद, जघन्यपदथकुं असंख्यातगणुं केम होय? न होयज. जे कारणमाटे त्रणदिशिनी स्पर्शनाथकी ब दिशिनी स्पर्शना बमणीज होय; ते कारणमाटे जघन्यपद थकुं उत्कृष्टपद बमणुं जोइए. असंख्यातगणुंन जोइए.॥४॥ हवे गुरु उत्तर कहे. थोवा जहन्नयपए ॥ निगोय मेत्तावगाहणा फुसणा॥फु सणा संख गुणंता ॥ नकोसपए असंखगुणा ॥५॥ व्याख्या-थोडा जघन्यपदे जीवप्रदेश . तेह अर्थ निगोदमात्र अवगाह नाए जे निगोद रह्योजे, तेहनी स्पर्शना जघन्यपदे ले. अधिकानी नहीं. जघन्यप दे सो जीवनी स्पर्शना कल्पी डे. तिहां एकेका जीवनो लाख लाख प्रदेश रह्यो ३. संघलाए गणतां जीवना प्रदेश कोडी थाय. तेमाटे जघन्यपदे जीव प्रदेशे जीव प्रदेश थोडा, उत्कृष्टपदे जघन्यपदे जघन्यपद थकी असंख्यातगुणे अधिका निगोदनी स्पर्शना ले. जेह कारण पूरे गोले असंख्याता एक अवगाहना निगोद जे जे अने प्रत्येके असंख्याता उत्कृष्टपद अण मूकी प्रदेशपरे वृद्धिहानी रह्या थ नेरा निगोद जे , ते सर्वे उत्कृष्टपद स्पर्शेले. ते कारणमाटे नस्कृष्टपदे जीवप्रदेश असंख्यातगुणा होय. नत्कृष्ट कल्पनाए सहस कोडी जीव स्पर्शना ले. तिहां एके का जीवना लाख लाख प्रदेश ने. गणतां दश कोडाकोडी थाय. एम तत्कष्टपदे जीव प्रदेश, असंख्यातगुणा थाय ते जाणवा. ॥ ५ ॥ नकोसपय मुदत्तं ॥ निगोअगादणाइ सवतो॥ नि प्फा जू गोलो पएस परिवुहि दाणी हिं॥६॥ व्याख्या-प्ररा गोलाने मध्यनागे घणा जीवप्रदेश स्पो जे आकाशने, ते न कृष्टपद कहीए. तेहने अणमूकते प्रथम निगोदतणी अवगाहनानी सर्वे दिशिए प्रदेश परे वृधिहानी रहे. अनेरे निगोदे गोलो नीपजावीए. ॥ ६ ॥ बीजा अनेरा गोला जेम नीपजे तेम कहेले. तत्तुचिअ गोला नकोसपयं मुश्त्तु जो अन्नो॥ दो निगो तंमिवि अन्नो निष्फकोई गोलो॥७॥ %3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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