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________________ वीरस्तुतिरूप इंडिनुं स्तवन. ६५३ के ते प्राणी, पमायं न कुद्याके० प्रमाद न करे. इति. एहमां पण कमु जे परि ग्रह बांझे तेवारे सूत्र नणे. इतिनाव. इति नवमगाथार्थ ॥ ए ॥ सप्तम अंगे अपढिया संबरी॥ दाख्या श्राध अनेक॥नवि आचार धरादिक ते कया। मोटो एह विवेक॥ स ॥१॥ अर्थः-सप्तम अंगे के० श्री नपासगदशांगसूत्रमध्ये, अपढिया संबरी के नस्याविना संबरवंत करा. एम, दाख्या श्राध अनेक के० अनेक श्रावक देखा ड्या . इति. सूत्र नम्या नथी कह्या. इति नाव. ते कामदेवना अधिकार मध्ये प्रगटपणे श्री नपासकमध्ये कह्यु . यथा ॥ तयेणं समणे नगवं महावीरे बह वे समणे निग्गंये निग्गंधीय आमंतेत्ता एवं वयासी जस्ताव असो समयोवास ग्ग गिहिणो गिहमसे वसंता दिवमाणुस्स तिरिरकजोगिए नवसग्गो सम्मं सहंति जाव अहिया संति सक्का पुणा बडो समणेहिं निग्गंथेहिं उवालसंगं गणिपिड |गं अहिशमाणेहिं दिव माणुस तिरिस्कजोगिए अवसग्गे सम्मं समहित्तए जा व अहिया सित्तए तते बहवे समणानिग्गंथा निग्गंथीय एयम विणएणं प डिसुणे तएणसे कामदेवे समणं नगवं पसिणाई पुनश् ॥ इत्यादि व्याख्याः-तए एवं समणे नगवं महावीरं के० तेवारे श्रमण नगवान महावीर स्वामी, बहवे स मणे निग्गंथे निग्गंथीयके० घणा श्रमण नियंथ निग्रंथीने, एटले घणा साधु साध्वीने, आमंतेत्ता के आमंत्रण करीने-बोलावीने, एवंवयासी के एम कहे ता हवा. जस्ताव अशो के० हे आर्यो, जो-समणोवासग्ग गिहिणो के० श्रम णोपासक गृहस्थ, गिहमधे वसंता के० घरमा रहेता, दिव माणुस तिरिरकजो लिए के देवतासंबंधी, मनुष्यसंबंधी अने तिर्यचसंबंधी-उवसग्गो सम्म सह ई के उपसर्ग सम्यगीते एटले नलीरीते-प्रकारे सहे . जाव अहिया सेश्के दीनता अकरवे अहियासे . सक्कापुणा अजो के हे थार्यो, विशेषे सम र्थ थावं. समणेहिं निग्गंथेहिं के० श्रमण नियंथे-उवालसंग के० हादशांगी, गणिपिमगं के गणि जे आचार्य-तेनी पेटी. अहिशमाणेहिं के० जाते थके, | दिव माणुस तिरिरकजोणिए उवसग्गे के देवता, मनुष्य अने तिर्यचसंबंधी उ पसर्ग, सम्मं सहितए के सम्यग्रीते सहेवाने, जाव अहियासीलए के० याव त् अहियासवाने, त के० तेवारे. ते-बहवेसमणानिग्गंथा के० ते घणा श्रम ण निग्रंथ, निग्गंयोजयके साधवी, एयमविणएणं पडिसुणेति के ए अर्थ वि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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