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वीरस्तुतिरूप ढुंडीनु स्तवन.
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चवास परियागस्त समस्त कप्पत्ति दसाकप्प व्यवहारा नामयणे उदिसित्त ए अध्वास परियागस्स समणस्स कप्पत्ति गण समवाए नामं अंगे उद्देसित्तए द स वास परियागस्त कप्पति विवाहे नामं अंगे नदिसित्तए एक्कारसवास परियाग स्स कप्पति खुड्डिया विमाण पविनत्ति महलिया विमाण पविनत्ति अंगलिया वंगचूलिया विवाहचूलिया नामं उदिसित्तए बारसवास परियागस्स कप्पत्ति अरु गोववाए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए अक्षयणे उदिसित्तए तेरस वास परियाए कप्पत्ति उहाणु सुए समुघाणसुए देविं दोववाए नागपरियावलिया नामं असयणे उदिसित्तए चनदस वास कप्पति सु वन्न नावणा नाम नदिसित्तए पनरसवास कप्पति चारण नावणा नामं असयणे नदिसित्तए सोलसवास कप्पति वेयणीसयं नामं अभयणं नदिसित्तए सत्तरसवास कप्पती पासीविसि नामं असयणे नदिसित्तए अरसवास कप्पति दिहि विसि नावणा नामं असयरो नदिसित्तए एगुणवीसश्वास परियागस्स कप्पति दिति वाए नामं अंगे उदिसित्तए वीसवास परियाए समणे निग्गंथे सबसुआगवाई न वति ॥ यस्यार्थः एनो अर्थ सुगम ने तो पण संदेप लखेले. त्रण वरसना पर्या यना धणी साधुने कल्पे. आचार प्रकल्पनामा अध्ययन नणवाने चार वरस नी दीदावालाने सूगडांग सूत्र नणदुं कल्पे. एम पांच वरसनाने दशाकल्प, व्यवहार अध्ययन नण, कल्पे. आठ वरस पर्यायवाला गणांग समवायांग न णे, दश वरस पर्यायवाला जगवतीसूत्र नणे. अगीयार वरसना पर्यायवाला खुड्डिया विमानप्रविनक्ति महल्लियाविमाणप्रविनक्ति अंगचूलिया, वंगचूलिया थ ने विवाहचलिया नणे: बारवरसना पर्याययवाला अरुणोपपात, वरुणोपपा त, गरुडोपपात, धरणोपपात, वैश्रमणोपपात अने वैलंधरोपपात नणे. तेरवरस ना पर्यायवाला उपस्थानश्रुत, समुहाणश्रुत, देवेंजोपपात अने नागपरिया वलि या अध्ययन नणे. चन्दवरसना पर्यायवाला सुवर्णनावनायध्ययन नणे. पन्न रवरसना पर्यायवाला चारण नावनाअध्ययन नणे. सोलवरसना पर्यायवाला वेदनीशतकअध्ययन नणे. सत्तरवरसना पर्यायवाला बासीविसअध्ययन नणे. अढारवरसना पर्यायवाला दृष्टिविषनावना नामा अध्ययन नणे. योगणीस व रसना पर्यायवाला दृष्टिवादनामा अध्ययन नणे. वीसवरसना पर्यायवाला सर्व सूत्रना वादी होय. इति व्यववारदशमोदेशके. जो साधु एटला वरसपी नरो तो श्रावकतो सर्वथा न नणे. इति नाव. तेवारे ढुंढक बोल्यो जे, जो एम डे तो
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