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________________ ६७० वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन अर्थः- इरियादिकनां के इरियावही प्रमुखना, यहींयां उपलक्षणथी नवका रनु नपधान लीजीए. यादिशब्दथी बीजां चार नपधान लीजीए. एटले, षटनप धान डे के० नपधान .. यथा पहेलु नपधान, पंचमहा मंगल सुधखंध, बी जुं पडिकमणा सुअखंध, त्रीजुं शक स्तवाध्ययन, चोथु चैत्यस्तवाध्ययन, पांचमुं नामस्तवाध्ययन अने तुं श्रुतस्तव सिहस्तवाध्ययनः- ए तेरोके ते उपधाने करीने, आवश्यक शुभके० आवश्यकसूत्र शुरू थाय. गहीके गृहस्थ सामायि क यादे श्रुत नणेके० सामायिक यादि देश्ने, थादिशब्दथी दृष्टिवादपर्यंत श्रु तसिद्धांत नणे, दीक्षा लेने अनुमके लोन, उपलक्षणथी क्रोधादिक तेहनो त्याग करीने ते उपधाननो अधिकार महानिशीथसूत्रमध्ये विस्तारे जे. ते जाण बुं. ते कहेतां ग्रंथ वधे तेमाटे नथी लखता. तथा मूढा महानिशीथसूत्र मा नता नथी; ते नथी मानता तेहने केहेवाना उत्तर प्रत्युत्तर घणाले, पण नथी लखता. तथा सुबुद्धि मंत्री प्रमुखने अधिकारे बीजे पण सर्व तामे दीक्षा लीधा पनी ॥ सामाश्य माझ्या एकारस अंगाइ अहिजश्के० सामायिक आदि देने अगीआर अंग नणे एहवा पाठ जे. इतिसप्तमगाथार्थ, ॥ ७ ॥ वली श्रावक सूत्र न नणे ते देखाडेले. सूत्र नण्या को श्रावक नवी कह्याला कह्या तेत् ॥प्रथम झान ने पत्री दया कही॥ तिहां संजत गुण रेद ॥ स० ॥७॥ अर्थः- सूत्र नण्या को श्रावक नवि कह्या के० को श्रावक को सूत्रमा सूत्र नण्या कह्या नथी. लइहा कह्या तेहके० उलटा लदहा कह्या ले. अर्थ साध्या ने जेणे इत्यादिक तुंगीयानगरी प्रमुख श्रावकने अधिकारे कह्याने. यतः जगवती सूत्रे शतक बीजे नद्देशे पांचमे ॥ लक्ष्हा गहिया पुखिहा थनिगया विणिबियाहा ॥ इति. अर्थः-लहाके० अर्थ ग्रह्याले; तेहथी अर्थ लाध्या . पुखियघके संशयथकां पूब्याले अर्थ जेमणे, अनिगयाके० प्रश्न करी निर्णय कस्या अर्थर्नु अनिग्रहण जाणपणुं थयु. विपिनियनके एटलामाटे निश्चित अ र्थ जेणे, एम कडं; पण ॥ लसुत्ता गहियसुत्ता ॥ इत्यादि पाठ कहींए नथी. उलटुं दीक्षा लीधा पठी पण एटलो काल गये नणे, एम कडं ते लवीए बैए. ॥ तिवास परियागस्त निग्गंथस्स कप्पा आयारकप्पे नामं असयने नहिसि त्तएवा चनवास परियागस्स निग्गंथस्त कप्पत्ति सुअगडे नामं अंगे नहिसित्तए पं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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