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________________ त्युत्तम ज्ञानवृधिनी उत्कंठा पूर्वक तउद्युक्त पुरुषोने अतिशय श्राश्रय दियेने; माटे नि श्चये करी एमने पूर्वनूत धर्म श्रमावान कुमारपाल राजा प्रमुखनी पंक्तिमा शासारूं न गणाय. किंतु तेमनी तुलना करे तेवाज . आ लखाणमां कोईए अतिशयोक्ति स मऊवी नही, पण निर्पक्षपात बुद्धिथी विचार कर। जोके, शेठ केशवजी नायक ए सर्व उपमाने योग्य बे के नही ! जुवो के अमे अंकित करवाने श्रारंन करेला था ए क लद संख्याक महत् चतुर्नागात्मक पुस्तकना अंकनीय खर्चनेविष एवी युक्तिथी आश्रय आप्योने के जेथकी केटलाएक लमयोछरित पूर्व गीतार्थोए करी रचित प्रकर गोनुं सुखरूप पुनः जीर्णोदार थई शकशे. माटे एमने जेटली उपमादैये तेटली योडीने. रानबहादूर बाबुसाहेब लदमीपति सिंदजी त्रपति सिंदजी. शेठ केशवजी नायकविषे लखता था प्रसंगे श्रीमक्दावाद निवासी स्वप्रांत नूप समान, लदम्यादि बाह्य अमित समृद्धि युक्त, उत्तम यशःकीति नाम कमादयवान, ज्ञान वृक्ष्युत्कंठावान अतिशय, प्रतापी. स्वधर्म दीपक, पूर्वोक्त पंक्ति अनिराजनीय, सर्व संघ तिलक नूत तथा श्रावक गुण सहित्यादि अपूर्व कत्यालंकार नूषित रामबहार नूपतिदत्त पदक धारक बाबुसाहेब लक्ष्मीपति सिंहजी बत्रपति सिंहजी पोताना नाम प्रमाणेज योग्यतावान होवाथी अधुना अनुपमेयज डे. __जस्टिस् आँत् धि पीसाख्य नूपतिदत्त पदक धारक शेठ केशवजी नायक तथा रा उबहाउराख्य नपतिदत्त पदक धारक शेत लक्ष्मीपतिसिंहजी बत्रपतिसिंहजी जेवा प्रना विक धर्म दीपक पुरुषो श्रावक मंमलने विषे हमेश उत्पन्नथता रहो; अने यावा ज्ञान वृद्धिरूप धर्मकृत्यो का रहो एवो थमारो अंतःकरण पूर्वक थाशिर्वाद दे. __ या ज्ञानवृद्धिक उत्तम कृत्यने सारो थाश्रय थापनार प्रनाविक पुरुषोनी पंक्तिमा शोनित, थपेक्षा तथा उपेक्षा रहित, सारासार ग्राहक, परम रहस्या , परोपकार म तिमान, करुणा, दया, कृपा तथा शीलादि गुनगुण युक्त, श्री वीतरागपद कमल मक रंद लालसाय भ्रमरायमान्, महात्मा सदृश मुनीमहिमा सागरजी तथा सुमति सागर जी; एमनो अत्यंत प्रार्थना पूर्वक अत्युपकार युक्त नाम स्मरण अत्र गुंथित करुं बुं. श्री मुंबईना श्रावक मंमलमांना श्रेष्ट हरनम नरसिंह; श्रेष्ट घेला जाई पदमसी, श्रेष्ट वर्षमान पुनसी, श्रेष्ट नोजराज देसल, एमणे झान वृद्धि विषयक पोतानी सारी उदारता दर्शावी ने माटे तेमना उपकार पूर्वक हुँ नाम गुंथित करुं बु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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