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________________ ५ श्रीमदाबाद निवासी परम ज्ञान प्रसारोयुक्त मतिमान स्वज्येष्ठ भ्राता तुल्य ल ी तथा गुण युक्त नूप दत्तक रायबाहादूर पद धारक बाबुसाहेब धनपति सिंहजी पति सिंहजी एमने पण पोतानी उत्कृष्ट ज्ञान वृद्धिक कृत्यने सारी उदारता दर्शावी बे तेथी तथा बीजो पण ज्ञान वृद्धिने यर्थे पुस्तक अंकित करवानो हमेश उद्योग चालुं राखेने तेथी यति सत्कार पूर्वक तथा मान्यता युक्त नामस्मरण गुंधित करूंबुं. श्री मुंबईना श्रावक मंडलमांना शेठ परबत लधा, शेव मूलजी देवजी, शेठ जादव जी परबत, सा. नोजराज नरपाल, तथा शेठ कीकानाई फूलचंद तथा शा. ठाकरसी देवजी rate to terश्रद्धान प्रमाणे या ज्ञानवृद्धिना कत्यने याश्रय श्राप्यो तेथ तेनुं उपकार सहित नामस्मरण ग्रंथित करूं बुं. श्री अहमदावादना श्रावक मंगल माहेला शेव दलपत नाई नगुनाई, तथा शेव मयानाई प्रेमानाई, एउनी ज्ञाननी प्रशस्ति थवानेविषे व्यति उत्कंठा जोईने मोटा थानार सहित नामस्मरण थित करूं बुं ; श्री सादवाला शेव साकलचंद दुकमचंद तथा श्री नरुचवाला शेव अनूपचंद मलु कचंद, एए पोतानी धर्मप्रभावना अधिक दर्शाववाने अर्थे ज्ञाननी वृद्धि थवा सारु जे उत्सुकता बतावी बे ते जोईने मोटा उपकार साथे नामस्मरण गुंथित करूं बुं. श्री कल मुदराना रहेवाशी शेव कस्तुरचंद सिंघजी पारेख एमनी अद्भुत धर्म प्री ति, वैराग्यता तथा ज्ञानवृद्धिनी अतिशय चाहना जोईने मोटा खादर पूर्वक था पु स्तनी साथै नाम गुंथित करूं बुं. साधुमंमल मार्गमार्गित संवेगी साधु वर्य, यति विवेकी, ज्ञान पीयूष बुजुत्सुक जिनप्रवचन श्रवण श्रद्धावान श्रावक जन मन कर्णने परमामृत रहस्य पान कराव नार; साधु गुण नूषणालंकृत; ज्ञानवृद्धि कर्त्ता पुरुषरूप वृक्षोने मेघवृष्टि समान धत्यु त्कृष्ट साधन नूत, महाराज श्री मूलचंड्जी तथा जवेर सागरजीना, नामस्मरण प्रेम पूर्वक गुंचित करूं कुं. साधु मंगलमां साधु गुण संपन्न, ज्ञानरूप सूर्यना प्रकाशने यावरण करनारा जे नाना प्रकारना संशयो, कुतर्कों, द्वेष, मान, ईर्षा तथा कुसंग प्रमुख वादल समूहरूप घनघटानो सम्यक् प्रकारे विध्वंश करवाने बलवान पवन समान ; धर्म तथा धर्मग ज्ञानादिकन वृद्धि करवाने पूर्वना अत्युत्तम सुविहित शास्त्रपारगु याचार्यादि आर्य जन तुलस्याद्वाद सैलीना जाए बहुधा पंजाबाख्य देश निवाशी संवेगी साधु श्री यात्माराम समान यात्मारामजी एमनुं प्रति नावपूर्वक नामस्मरण कुंचित करुंकुं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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