SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्यात्ममतपरीक्षा. ३०१ यनय पण नपचारसहित थायडे, शहां कोई विशेषता नथी, यतः “अर्पि तानर्पितसिहे तत्वार्थ" शब्देकरी नयनी प्रधानतानी जे विवक्षा करवी ते अर्पित | कहिये, अने नयांतरनी अपेक्षाए तेनी अप्रधानतानी जे विवदा करवी ते अन र्पित कहिये, एबन्ने प्रकारनी विवदाथी जे पदार्थनी सिदि थायने, ते तत्वार्थ सिदि कहेवाय. ॥ ६६ ॥ पिचयणयस्स विसयं नावंचिय जे पमाण मादंसु॥ तेसिं विणेव दे कऊप्पत्ती कामेरा ॥ ६ ॥ व्याः कोईक याम माने के, निश्चयनयनो विषय जे नाव ले तेज प्रमाण बे, तो ते नावनो हेतु इव्य बे, इव्य विना नावनी उत्पत्ति थाय नही जो व्यवि ना नावनी उत्पत्ति अंगीकार करीये तो मर्यादा रहे नही. अने कारणविना का र्यनी नत्पत्ति थती नथी एवो नियम के तेनो नंग थशे! जो एम कहेशो के, इव्य क्रिया संसारमा अनंतवार प्राप्त थएली, माटे ते अप्रधान ; तो नाव पण य प्रशस्त अनंतवार प्राप्त थएलो वे ते केम प्रधान कहेवाय ? जो कहेशो के, गुम नाव अपूर्व ले, तो गु६ इव्य पण अपूर्वज डे, ते शासारूं नही मानवू जोये ! ॥६॥ खाग्वसमिगनावे सुझो देऊ सुहस्स खश्अस्स ॥त नावेण कया पुण किरिआ तनावबुद्धि करी ॥ ६ ॥ व्याः छायोपशमिक नावे कीधेली जे क्रिया तेज दायोपशमिक नावनी ६ करनारी जे; माटे गुरूनावथी क्रिया अवश्य करवी योग्य : थने तेम न कस्वाथी नावनी हाणी थई जाय. ॥ ६ ॥ धि सभा सुद विविश्स विमती तत्त धम्म जोणित्ती। तल्लधम्मनावा वई नावतत्तणं तत्तो ॥ ६ए॥ एवं पवनावो कमेण गुणगणसिमिमारुदिय ॥ परकीणघाकम्मो कयकिच्चो केवली हो ॥ ७० ॥ व्याः धृति, श्रा, शुश्रूषा, विविदिषा, तथा विज्ञप्ति ए पांच पदार्थ धर्मनां कारण ने, एविषे पतंजलिप्रमुख ग्रंथोमां पण कहेल्लं , उगादिनो त्याग क रीने चित्त स्वस्थ करतुं ते धति कहिये, चित्त स्वस्थ थयाथी मार्गानुसारिणी रुचि उत्पन्न थाय जे ते श्रदा कहिये ; मार्गानुसारिणी बुद्धि थयाथी छायोपशम नाव - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy