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________________ श अध्यात्ममतपरीक्षा. क्रिया न करे तो ते ज्ञानमात्रथकी फलनी प्राप्ति यती नथी. यहीं दृष्टांतो कहे बे :- जेम कोई पुरुषने मार्गनुं ज्ञान सारी पठे होय, पण जो चलनक्रिया न करे तो वांति नगर प्रत्ये पहोची शके नहीं; जेम कोई पुरुषने नृत्यकलानुं सारं ज्ञा न होय पण जो नृत्य निनय क्रिया न करे तो जोनारा लोकनुं मनरंजन करी शके नही; तथा तेने कांई इव्यनी प्राप्ति थाय नहीं तथा जेम कोई पुरुष तरी जातो होय एटले जलतरणज्ञानवान होय, पण जो हस्तपादचलनरूपक्रिया न क तो वितस्थले न पोहोचतां वञ्चेज बूडी मरे, एवी रीते ज्ञाननय तथा क्रियानय नो परस्पर विवाद बे; तेने एककोरे मूकीने मात्र सारांशनो विचार जो कयो होय तो परमार्थदृष्टि फलसिद्धिने विषे बन्ने समान बलवंत बे. केमके, शैलेशीयव स्थाने विषे केवलज्ञानरूप ज्ञान, तथा संवररूप क्रिया ए बन्ने योगथी मुक्ति थायले पण ए बन्नेमांनुं कोई एक न होय तो मुक्ति थाय नहीं, ए प्रमाण पक्ष बेः ॥ ५७ ॥ to निश्चयनयनी अपेक्षाए कहे : तुल्त्तमवेकाए पियमासमुदाय जोगमदि गिच ॥ किरिच्या विसस्सए पुए नापान सुए जन नणियं ॥ ८॥ जम्दा दंसण नाणं संपुन्नफलं न दिति पत्तेयं ॥ चा रित्तजुच्या दिविद विसस्सए तेण चारितं ॥ ५० ॥ व्या० :- यद्यपि कार्य करवानी अपेक्षाए ज्ञान ने किया ए बन्नेनुं सरखं ब लबे ; तथापि ज्ञान करतां क्रियाने चाटली विशेषता बे:- ज्यारे शुद्ध क्रिया हो art ष्टादिस्थानके नियमे शुद्धज्ञान होय. पण ज्यारे शुद्धज्ञान हो त्यारे शुद्धकियानो नियम नथी. केमके, चतुर्थगुणस्थानके सम्यक्तना प्रता पेकरी शुद्ध ज्ञान तो होयले, परंतु अविरति होवाने जीधे शुद्ध क्रिया होती नथी. एविषेयावश्यक निर्युक्तिमा कांबे के, जेमाटे दर्शन तथा ज्ञान ए प्रत्ये के संपूर्ण फल दई शकता नथी, पण ज्यारे चारित्रनेविषे एकता मलेबे. त्यारे संपूर्ण फल दिये. तेमाटे दर्शन तथा ज्ञान करतां चारित्र श्रेष्ठ बे ॥ ५८ ॥ ५९ ॥ एवं ववदाराव बलवंतो पिच नणेयवो ॥ एग मयं ववहारो समयं च वत्ति ॥ ६० ॥ य, व्या:- एवी रीते व्यवहारथकी निश्चयतुं बल अधिक कयुं तथा प्रावीरीते पण निश्वयनी विशेषता बे:- जे एकनयनुं मत ते व्यवहार, अने सर्वनयनुं मत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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