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________________ - शपथ अध्यालमतपरीदा. बोजानो धर्म तथा बीजानुं सुख पोते लेवाई शकायचे. ए बन्ने पक्षमा कृतनाश भने अरुतागम दोष प्राप्त थायडे: केमके, जो पोतानो धर्म तथा पोतानुं सुख बीजाने देवाई शकातुं होय तो पोते करेला कतनो नाश थई गयो कहेवाय, य ने लेनारने अरुतनो बागम थयो कहेवाय. केमके, तेने नकरेलो धर्म तथा ते नुं फल जे सुख, तेनी प्राप्ति थायने, तथा करेलो अधर्म तथा तेहना फलनो नाश थायजे, ते कृतनाश कहेवाय जे. तेमज बीजानो धर्म तथा बीजानुं मुंख पोताथ की आवाई शकातुं होय तो तेणे करेला कतनो नाश थई गयो कहेवाय, यने पोताने अस्तनो आगम थयो कहेवाय; केमके, पोताने नही करेलो धर्म तथा तेना फ लनी प्राप्ति थायजे, तथा करेलो अधर्म तथा तेना फलनो नाश थायडे, ते कृत नाश कहेवाय . ॥ ४ ॥ नत्ता पोग्गलाणवि पं दाण हरणा होइ जीवस्स ॥ जश्तं संचिय दुजा तो दिजा वा अवदरिना ॥ ५० ॥ व्या:-नक्तप्रमुख पुजलनुं देवु तथा जेतुं जीवनेविषे थाय नही, केमके, जे वस्तु पोतानी होय तेनुं देवं तथा ले थायने : परनी वस्तुनुं लेवू देवू थतुं न थी, ने परवस्तुनुं लेवं देवं तो प्रत्यद करिये बैये ते केम बने ? ज्यारे पुजल इव्य थापणुं नथी त्यारे लेवू देवू केम कराय ? ॥ ५० ॥ जोगवसेणुवपीआ इवाणिधा य पोग्गला जेद ॥ अरमाणे जीवा जीवो अग्लो अदितो ॥ १ ॥ व्या:- नामकर्मना परिणाम जे मन वचन तथा कायना योग जे; तेना व शे पुजलनुं ग्रहण थाय: जेम के, सुगंध तथा उर्गधनुं ग्रहण करतां काय यो गना वशेकरी पुजलनुं ग्रहण थाय: तेथात्मतत्वना ज्ञानयकी जीवने रागदेषना कारण थाय; पण ते आत्माथकी अन्य जे. अने थात्मा तेथकी अन्य दे. केम के, पुजल ग्रहण गुण जे; अने थात्मा उपयोग गुण बे. ॥ ५१ ॥ तम्हास परिविनागो पोग्गलदबंमि पनि णिबय॥ नोगानोगविसेसो ववदाराचेव सपसस्तं ॥५॥ व्या:-- माटे निश्चयनयथको एटलो विशेष ले के, जे आपणने जोग यावेने, तेमांनु न्यायोपार्जित वित्त दोय ते थापणुं; ने जे परने नोगावे ते परतुं जाणवू.॥५५ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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