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स्तोत्र.
२६ए रंजनं त्रिजगतः पुरातनं ॥ त्वां स्मरामि सकलंच निष्कलं निष्कलंकमचलं महाब लं ॥१॥ श्वं यः प्रयतः स्तवीति सततं श्रीजीरपल्लीपुरीवासं पार्श्वजिनप्रचं प्रकटित प्रौढप्रतापोदयं ॥ सोवश्यं सुनगं नविभुरधिकं धर्मार्थकामामृतश्रीनिः स्त्रीनिरिव स्वयं गुणगणाश्लिष्टानिराश्लिष्यते ॥१५॥ इति श्रीजीरापल्लीपार्श्वस्तवनं समाप्तम्।।
॥अथ श्रीफलवद्धिजिनपार्श्वस्तवनं ॥ सयलाहिवाहिजलहर, समूहसंहरणचंडपवमाणं ॥ फलवहिपासनाहं संयुणि मो फणय फलं ॥१॥ विदुयासं विद्यासं, विद्यासं पत्तमनियुषंति तुमं ॥श्रम यरया अमयरया, अमयरया पुगश्वमवयणं ॥ २ ॥ समणाणं समणाणं, समणा एं संघिउ फुरइ सत्ती ॥ विणयाणं विणयाणं, विणयाणंदणजयाहि मुदे ॥३॥ हिरन्ना अहिरन्ना, अहिरन्ना विणियमंति कयपूया ॥ सव्वाही सवाही, सवाहीणा तुह य नत्ता ॥ ४ ॥ गयवाहा गयवाहा, गयवाहा अरहियापश्पसने ॥ परमहिया परमदिया, परमहिया सह न टुंति नरा ॥ ५॥ सद्दवणा सदवणा, सहवणामयरि क हवंति जणा ॥ सुहयगया सुहयगया, सुहयगया तुह पसाएण ॥ ६ ॥ कणयाउ कण्या, कण्या ररकसी तुमंजवणं ॥ नदवयो नदवशो, नवयो रिद्धिसिरिया णं ॥ ७ ॥ नाएणं नाएणं, नाएणं चियति लोहसुहसि ॥ नयराई नयराई, नयरा ई सुगुणपोराणं ॥ ॥ फलवड़ी फलवदी, फलवड़ी दाणा तुमे विहिया ॥ सन्न यरी सन्नयरी, सन्नयरीमंतयाजया ॥ ॥ समणाली समणाली, समणाली एं तहागमे धन्ना ॥ चरणरया चरणरया, चरणरया नाश्चत्तसिरी ॥१०॥ निहप्पहस्स निद, पहस्त, निहप्पहस्त मोहदले ॥ रयणायर रयणायर, रयणायर गहिर तुस नमो ॥ ११ ॥ इत्थं थुसि सिरिपास जगनिवास सिंगारहारफलवदिपुरीसिरीए । बुद्धीयराकयजिगप्पहसू रिवाणी थूयच्चमे वियर अंतररोगमुरकं ॥ १२॥
॥ इति श्रीफलवदिपार्श्वनाथस्तवनं समाप्तम् ॥ ॥अथ श्रीचंप्रनस्वामिस्तवनं ॥
॥ संस्कृतं ॥ नमो महसेननरेंइतनूज जगऊनलोचननंगसरोज ॥ शरवसोमसमद्युतिकाय दयामय तुन्यमनंतसुखाय ॥ १ ॥ सुखीकृतसादरसेवकलद विनिर्जितर्जपनाव विपद ॥ सुरासुरवृंदनमस्कृत नंद महोदय कल्पमहीरुहकंद ॥२॥
॥प्राकृतं ॥ जय निरसिय तिदुयणजंतु नंति जय मोहमहीरुहदलनदंति ॥ जयकुंदक |
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